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दुमका में सात करोड़ के स्टेडियम में लटका ताला, निर्माण कार्य चलने से बच्चों को खेलने में हो रही परेशानी

उपराजधानी दुमका में इन दिनों खेल के मैदान बच्चों से गुलजार नहीं रहते. दरअसल एक साथ शहर के दो महत्वपूर्ण मैदान जिला स्कूल के ए-टीम क्रिकेट ग्राउंड और गांधी मैदान में काम चल रहा है. दोनों ही जगह गैलेरी-पैवेलियन का निर्माण हो रहा है. एटीम ग्राउंड में स्टोर रूम और ट्वायलेट भी बनाये जा रहे है.

उपराजधानी दुमका में इन दिनों खेल के मैदान बच्चों से गुलजार नहीं रहते. दरअसल एक साथ शहर के दो महत्वपूर्ण मैदान जिला स्कूल के ए-टीम क्रिकेट ग्राउंड और गांधी मैदान में काम चल रहा है. दोनों ही जगह गैलेरी-पैवेलियन का निर्माण हो रहा है. एटीम ग्राउंड में स्टोर रूम और ट्वायलेट भी बनाये जा रहे है. सिंहानिया इंड पर नया गेट भी बनाया जाना है. इन सब काम के होने के बाद मैदान को तकरीबन 18 इंच ऊंचा किया जायेगा, ताकि इस मैदान में पानी का जमाव न हो और खिलाड़ियों को सालो भर यह मैदान उपलब्ध हो सके. इस मैदान में इससे पहले भी गैलेरी आदि के निर्माण, हाई मास्क लाइट, जनरेटर आदि लगाने के काम हुए थे. चारों ओर ड्रेनेज भी बनवाये गये थे. अब जो काम चल रहा है उसमें दो-तीन माह और समय लगना तय माना जा रहा है. यानी गरमी में ही यह मैदान बच्चों को खेल के लिए उपलब्ध हो पायेगा. इधर गांधी मैदान में भी गैलेरी निर्माण, चहारदीवारी ऊंची करने जैसे काम हो रहे हैं. यहां भी रात में खेल गतिविधियां आयोजित करने के लिए रोशनी की व्यवस्था की गयी है. ट्वायलेट, ग्रीन रूम आदि बनाये जा चुके हैं. मैदान में खुटाबांध तालाब से उठायी गयी मिट्टी भरी गयी है, पर लेवल नहीं किया गया है. इस मैदान के कायाकल्प में भी दो-तीन माह का वक्त लग जाने की संभावना है.

काफी समय से उपेक्षित है बिरसा मुंडा आउटडोर स्टेडियम

दुमका के बिरसा मुंडा आउटडोर स्टेडियम का पैवेलियन सह ग्रीन रूम का भवन जर्जर घोषित हो चुका है. खंडहर में तब्दील इस भवन में फिलहाल कल्याण विभाग के अधीन आदिवासी छात्र रहते हैं. कई बार इन्हें इस भवन को खाली करने को कहा गया है, पर वे खाली नहीं करते और जान जोखिम में डालकर यहां रह रहे हैं इस मैदान के ग्राउंड में कई बार स्टोन डस्ट डालकर सरकारी आयोजन कराये गये हैं, जिससे मैदान खेलने लायक नहीं रह गया है. मैदान की जमीन पर अब बरसात में भी घास नहीं उगती. यहां फुटबाॅल खेलने वालों के पैर छिलाते रहते हैं और घुटने फूटते रहते हैं. इस मैदान में एथलेटिक्स के लिए सिंथेटिक कोर्ट बिछाने की योजना को लेकर प्रस्ताव बना था, पर मैदान ही छोटा पड़ गया. अब नये सिरे से इसके लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्रस्ताव बनाया जायेगा.

स्टोन चिप्स की वजह से बर्बाद हो गया पुलिस लाइन का ग्राउंड

कमोबेश यही हाल सरकारी आयोजनों में स्टोन चिप्स बिछाये जाने से पुलिस लाइन परेड ग्राउंड की भी हो गयी है. यहां खेलकूद गतिविधियां कम, अवैध गिट्टी-बालू लदे ट्रकों को जब्त करके पुलिस अभिरक्षा में रखे जाने के लिए ज्यादा हो रहा है. पुलिस लाइन ग्राउंड परेड के लिए भी जाना जाता है. पर जो स्थिति पैदा हो गयी है, उसमें पुलिसकर्मी भी अपनी फिटनेस के लिए इस ग्राउंड का इस्तेमाल बेहतर ढंग से नहीं कर पाते. ग्राउंड का बीच का ही हिस्सा थोड़ा ठीक है, पर स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस के परेड के लिए स्टोन डस्ट डालकर बनाया गया ट्रैक काफी बाधक बनता है. पुलिस लाइन के क्वार्टर में रहनेवाले पुलिसकर्मियों के बच्चे इस मैदान में खेल नहीं पाते.

हैंडओवर न होने की वजह से जिलास्तरीय स्टेडियम में गतिविधियां शून्य

दुमका में जिलास्तरीय स्टेडियम शहर से छह किलोमीटर दूर विजयपुर के आगे कमारदुधानी में बना है. इस जिलास्तरीय स्टेडियम के निर्माण में तकरीबन साढ़े सात करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. इस प्रोजेक्ट पर काम 2012 में शुरू हुआ था, पर अब तक नियमित रूप से खेल गतिविधि यहां आयोजित नहीं हो सकी. सेना की बहाली के लिए यहां कैम्प आयोजित जरूर हुआ था. इस जिलास्तरीय स्टेडियम में हॉस्टल का निर्माण भी प्रस्तावित है. जिम्नेजियम आदि के लिए भी कुछ सामान की खरीद होनी है. आनेवाले समय में यहां फुटबाल की डे-बोडिंग शुरू कराये जाने की योजना है. इसी से सटे आर्चरी एकेडमी का बेहतर इस्तेमाल अभी हो रहा है, जिसमें एक्सिलेंस सेंटर व आर्चरी की डे-बोर्डिंग संचालित की जा रही है. बेहतरीन व्यवस्था रहने की वजह से यह अकादमी अपनी विशिष्ट पहचान झारखंड में रखता है.

प्रत्येक प्रखंड की दो पंचायतों में स्टेडियम बनाने का मांगा है प्रस्ताव

दुमका जिले के सभी दस प्रखंडों में दो-दो पंचायतों में स्टेडियम बनाने का प्रस्ताव मांगा गया है. स्टेडियम बनवाने के लिए सरकारी स्तर पर राशि भी आवंटित है, जिसे उपयोग न कर पाने की स्थिति में पीएल एकाउंट में रखा गया है. चूंकि इन योजनाओं की प्रशासनिक स्वीकृति मिली हुई है और राशि भी आवंटित है, लिहाजा प्रस्ताव आते ही जोर-शोर से काम शुरू हो जायेगा, ऐसी संभावना प्रबल है. दुमका जिले के सुदुरवर्ती व जनजातीय बहुल गांवों में फुटबाल के खेल का क्रेज बहुत अधिक है. इसके अलावा तीरंदाजी, कबड्डी जैसे खेल के अलावा एथलेटिक्स में भी यहां के बच्चे अवसर मिलने पर खुद को साबित करते रहे हैं. बालकों के अलावा यहां की बालिकाओं ने भी राष्ट्रीय स्तर पर दुमका को गौरवान्वित कराने का काम किया है.

बोले जिला खेल पदाधिकारी

गांधी मैदान व एटीम ग्राउंड में काम चल रहा है. इन दोनों मैदानों के कायाकल्प होने से खेलकूद की गतिविधियों को विस्तार मिलेगा. आउटडोर स्टेडियम को भी संवारने की योजना है.इस पर अगले वित्तीय वर्ष में काम होगा. वहां रहने वाले हॉस्टल के बच्चों को शिफ्ट कराने की पहल हो रही है. जिलास्तरीय स्टेडियम कमारदुधानी में बना है, पर हैंडओवर नहीं हुआ है. कुछ और काम होने के बाद यहां बालकों के लिए आवासीय फुटबाल प्रशिक्षण केंद्र संचालित होगा.

– तूफान कुमार पोद्दार. जिला खेल पदाधिकारी, दुमका

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