झारखंड हाईकोर्ट ने दुमका के मेसर्स रानी सती राइस मिल के बकाया बिजली बिल को जमा राशि 30 लाख रुपये से समायोजित कर शेष वापस करने के मामले में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में मामले की सुनवाई के दौरान जेबीवीएनएल के सीएमडी अविनाश कुमार सशरीर उपस्थित हुए और कोर्ट से माफी मांगी.
साथ ही बिजली बिल समायोजित कर 23 लाख 62 हजार 188 रुपये से संबंधित चेक प्रार्थी को सौंपा. इस पर खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा : सिर्फ पैसा वापस करने से क्या होगा? इस दौरान प्रार्थी को कई तरह की मानसिक परेशानी का भी सामना करना पड़ा होगा. खंडपीठ ने मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता एमएस मित्तल ने पैरवी की. वहीं, प्रतिवादी की ओर से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने पक्ष रखा.
प्रार्थी मेसर्स रानी सती राइस मिल ने अवमानना याचिका दायर कर आदेश का अनुपालन कराने की मांग की थी. प्रार्थी पर बिजली चोरी का आरोप लगाकर निगम ने 30 लाख की वसूली की थी. कोर्ट के अंतरिम आदेश पर प्रार्थी ने 30 लाख रुपये निगम में जमा किया था. बाद में सक्षम न्यायालय ने रानी सती राइस मिल के पक्ष में फैसला सुनाया था. बिजली निगम में जमा रुपये बकाया बिजली बिल में समायोजित कर शेष राशि प्रार्थी को वापस करना था, लेकिन राशि नहीं लाैटायी गयी. इसके बाद प्रार्थी ने अवमानना याचिका दायर की.