राजदेव पांडेय, पटना. बिहार में मुनाफे की चाह में बाजार की मनमानी कुछ ऐसी है कि एक ही खाद्य वस्तु की कीमत विभिन्न जिलों में अलग-अलग है. बाजार में उच्चतम और न्यूनतम कीमतों में प्रति किलोग्राम सात रुपये से लेकर 47 रुपये तक का अंतर पाया गया है. कीमतों को कम करने के लिए जब-तब राज्य सरकार वस्तुओं की आपूर्ति बढ़ाती है. हालांकि सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर मुनाफाखोर अपने हिसाब से मनमाने दाम वसूल ही लेते हैं.
ब्रांडेड खाद्य पदार्थों पर सरकार का किसी तरह का नियंत्रण नहीं है. दो दिन पहले यानी 20 नवंबर को चावल, गेहूं, दाल, दूध और सरसों के तेल की फुटकर कीमतों पर नजर डालें बातें तो स्पष्ट होता है कि कीमतों में विभिन्नता किस कदर की हैं. हालांकि बड़े शहरों, मसलन- पटना, भागलपुर, पूर्णिया, गया, मुजफ्फरपुर में खाद्य वस्तुओं की कीमत में अंतर एक से 17 रुपये के बीच रहा. लेकिन, छोटे-छोटे शहरों या कस्बों में खाद्य वस्तुओं कीमतों में भारी असमानता है.
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चावल : समस्तीपुर में 45 रुपये प्रति किलो (सबसे महंगा). रोहतास में 24 रुपये प्रति किलो (सबसे सस्ता). यानी कीमतों में अंतर 21 रुपये प्रति किलो.
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सरसों का तेल : गया में सबसे महंगा ~187 और सबसे कम 156 रुपये प्रति लीटर. उच्चतम और न्यूनतम दाम में अंतर ~31 का.
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दूध : रोहतास में 61 रुपये और खगड़िया में 42 रुपये प्रति लीटर बिक रहा. यानी कीमत में अंतर 19 रुपये प्रति लीटर.
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मूंग दाल : सर्वाधिक कीमत सुपौल में 120 रुपये और सबसे कम दाम नालंदा में 90 रुपये प्रति किलो. उच्चतम और न्यूनतम में अंतर 30 रुपये प्रति किलो.
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उड़द दाल : अररिया में सबसे महंगा 140 रुपये और बेगूसराय में 93 रुपये प्रति किलो सबसे सस्ता. भाव में अंतर ~47 का.
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मसूर दाल : सबसे महंगी पश्चिमी चंपारण में 101 और सबसे सस्ती 76 रुपये सहरसा में. यहां प्रति किलो अंतर 25 रुपये.
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गुड़ : सबसे महंगा सुपौल में 60 रुपये और औरंगाबाद में 38 रुपये प्रति किलोग्राम रहा. दोनों में अंतर 22 रुपये प्रति किलो रहा.
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चना दाल : जहानाबाद में सर्वाधिक 81 रुपये और मोतिहारी में सबसे कम 61 रुपये किलो. कीमत में 20 रुपये का अंतर.
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गेहूं : पूर्णिया में प्रति किलो 32 रुपये और अरवल में सबसे कम कीमत 25 रुपये रही. कीमत में सात रुपये का अंतर.
(नोट: जिंसों की कीमत 20 नवंबर की है)
जिलों में वस्तुओं की कीमतों में विभिन्नता देखी गयी है. विभाग खुले बाजार में वस्तुओं के उतार-चढ़ाव पर नजर रखे हुए है. हमारे पास समुचित शक्तियां हैं. जरूरत पड़ीतो बाजार में लिमिटतय कर देंगे. पिछले साल भी कदम उठाये थे. ऐसी जो बाहर से आती हैं, उनका बफर स्टॉक जारी कराने बारे में केंद्रीय एजेंसी को लिखेंगे.
विनय कुमार, सचिव खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण