Gorakhpur News: गोरखपुर साइबर पुलिस को भूलेख की वेबसाइट से आधार कार्ड नंबर और अंगूठे का निशान लेकर खाते से रकम उड़ाने वाले दो जालसाजों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल हुई है.
जालसाजों ने छह माह में अलग-अलग खातों से एक करोड़ से अधिक रुपये उड़ाए थे. पुलिस ने इनके पास से 1.23 लाख रुपये नकद, बाइक, सोने-चांदी के जेवरात और 6 मोबाइल बरामद किये हैं. पुलिस अब इनके मास्टरमाइंड की तलाश कर रही है.
एसपी क्राइम इंदु प्रभा सिंह ने बताया कि जालसाज ईजी पे ऐप के जरिए इस वारदात को अंजाम दे रहे थे. महाराष्ट्र के पुणे स्थित ईजी पे प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजर विकास मकवाना ने डाक के जरिए गोरखपुर साइबर क्राइम में शिकायत दर्ज कराई थी. उनका कहना था कि उनके यस बैंक, एनएसडीएल पेमेंट बैंक, स्क्वायर बैंक के उपभोक्ताओं ने फर्जी तरीके से खाते से रुपये निकालने की शिकायत की है.
पुलिस ने जब इस मामले की जांच की तो पता चला कि कुछ एजेंट ने उपभोक्ताओं का आधार कार्ड संख्या और अंगूठे का निशान का डाटा लेकर उनके बैंक खाते से रुपये निकाल कर दूसरे खाते में ट्रांसफर कर दिया है. इसको गंभीरता से लेते हुए साइबर क्राइम थाने की पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया और जांच शुरू की. पुलिस ने बैंक खाता खुलवाकर फर्जीवाड़े की रकम निकलवाने वाले दो जालसाजों को गिरफ्तार किया है.
एसपी क्राइम ने बताया कि जांच में यह पता चला है कि ईजी पे कंपनी, पेमेंट गेटवे की सुविधा पूरे देश में देती है. गोरखपुर में इसके करीब 9,000 एजेंट हैं, जो आधार कार्ड से रुपये निकलवाने व मनी ट्रांसफर का काम करते हैं. इन्हीं में से कुछ एजेंट ने ही कंपनी के ऐप का गलत इस्तेमाल कर फर्जीवाड़ा किया. उन्होंने बताया कि इनके द्वारा हैदराबाद, आंध्र प्रदेश के जिलों के ग्राहकों का आधार कार्ड नंबर और फिंगर प्रिंट के माध्यम से खाते से रकम उड़ाई जा रही थी. पुलिस फर्जीवाड़े में शामिल चार एजेंट को चिह्नित कर उनकी तलाश कर रही है.
यह जालसाज कंपनी से जुड़े एजेंट हैं. यह एजेंट हैदराबाद और उसके आसपास के ग्राहकों के भूलेख की वेबसाइट से उनका रजिस्ट्री पेपर डाउनलोड कर लेते हैं और उसमें अंकित आधार कार्ड नंबर व अंगूठे के निशान को लिटमस पेपर पर प्रिंट करके उसकी नकल तैयार कर लेते हैं. इसके बाद आधार कार्ड नंबर और फिंगर प्रिंट की मदद से उनके बैंक खाते से यह रुपये निकाल लेते थे. इस ऐप की मदद से अधिकतम एक दिन में 10 हजार रुपये निकाले जा सकते हैं.
रिपोर्ट–कुमार प्रदीप, गोरखपुर