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Indira Gandhi  Jayanti 2022:  आज है आयरन लेडी इंदिरा गांधी की जयंती, जानें उनके जीवन से जुड़ी रोचक बातें

Indira Gandhi Jayanti 2022: देश की पहली महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की आज जयंती है. उनका जन्म 19 नवंबर 1917 को हुआ था, इस साल 2022 में 19 नवम्बर को उनकी 105वीं जयंती मनाई जा रही है. आइए जानें आयरन लेडी इंदिरा गांधी के बारे में रोचक तथ्य

Indira Gandhi  Jayanti 2022: देश की पहली महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को हुआ था, इस साल 2022 में 19 नवम्बर को उनकी 105वीं जयंती मनाई जा रही है. उनकी डेथ एनिवर्सरी को राष्ट्रीय संकल्प दिवस के रूप में मनाता है. आइए जानें आयरन लेडी इंदिरा गांधी के बारे में रोचक तथ्य

आजाद भारत की पहली और इकलौती महिला प्रधानमंत्री

इंदिरा गांधी आजाद भारत के इतिहास की इकलौती महिला हैं जो प्रधानमंत्री बनीं. उनके बाद से आजतक कभी भी किसी महिला को इस पद पर आने का मौका नहीं मिला.

महात्मा गांधी के परिवार से नहीं था कोई संबंध

लोग हमेशा महात्मा गांधी के परिवार से संबंधित होने के कारण इंदिरा गांधी को गलत कहते हैं. यद्यपि नेहरू परिवार हमेशा महात्मा गांधी के परिवार से निकटता से जुड़ा था लेकिन इंदिरा ने उनसे यह नाम प्राप्त नहीं किया था. उनके पति फिरोज गांधी, प्रसिद्ध गांधी परिवार से संबंधित नहीं थे.

प्रधानमत्री कार्यालय में किया पी. ए. के रूप में कार्य :

जब उनके पिता जवाहरलाल नेहरू द्वारा प्रधानमंत्री का पदभार संभाला गया, तब वे एक युवा वयस्क थे. हालांकि नेहरू ने इन्दिरा के उज्ज्वल चरित्र व बुद्धि की बदौलत उन्हें अपने निजी सहायक के रूप में चुना.

सूचना एवं प्रसारण विभाग में मंत्री

प्रधानमंत्री की भूमिका निभाने से पहले उन्होंने सूचना एवं प्रसारण विभाग में मंत्री के रूप में कार्य किया. यह प. नेहरू के मंत्रिमंडल के दौरान एक संक्षिप्त अवधि के लिए हुआ.

पहला परमाणु परीक्षण किया

किसी भी क्षेत्र में आयरन लेडी दूरदर्शी थी, वह भारत को वैश्विक परमाणु शक्ति बनाने की दिशा में कदम उठाने वाली पहली नेता थे, जिन्होंने अंततः पोखरण में ‘स्माइलिंग बुद्धा’ नामक सफल परमाणु परीक्षण किया.

उनकी “अपनी पार्टी”

जब उन्हें हर कोई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के चेहरे के रूप में जानता था तो उन्होंने 1978 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अलग होकर “अपनी पार्टी” बनाई. इसे कांग्रेस आई कहा गया, जिसके लिए वह बदनाम हुई.

मृत्यु

1984 में सिख समुदाय के साथ झगड़े को लेकर उनके अपने निजी अंगरक्षकों द्वारा उनकी हत्या कर दी गई. उनकी समाधि दिल्ली में स्थित है.

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