Bareilly News: उत्तर प्रदेश के बरेली में एक नगर निगम, चार नगर पालिका और 15 नगर पंचायतों में चुनाव होना है. यहां चुनाव लड़ने वाले दावेदारों की लंबी भीड़ थी, जो काफी समय से मतदाताओं को रिझाने के लिए लाखों रुपए खर्च कर रहे थे. लेकिन नगर निकाय के आरक्षण की अफवाहों से दावेदारों का हौसला टूटने लगा है.
आरक्षण के इंतजार में दावेदारों के कार्यालय सूने होने लगे हैं. दावेदारों को आरक्षण का इंतजार है. इसके बाद ही निकाय चुनाव के लिए मैदान में उतरेंगे. वहीं नगर निकाय चुनाव 2017 में बरेली नगर निगम की मेयर सीट अनारक्षित थी. यहां से भाजपा के डॉक्टर उमेश गौतम मेयर हैं. लेकिन इस बार एससी की अधिक संभावना हैं. वहीं पिछड़ी जाति के उम्मीदवारों को भी मौका मिलने की उम्मीद जताई जा रही थी. लेकिन सबसे अधिक चर्चा अनारक्षित होने की जताई जा रही है. इसे लेकर लखनऊ से बरेली तक चर्चा है. भाजपा में मेयर पद के लिए 17 दावेदार मैदान में आ चुके हैं. जहां सपा में 07 दावेदार हैं. कांग्रेस और बसपा में दावेदारों की संख्या काफी कम है. आरक्षण आने के बाद प्रत्याशी उतारने की तैयारी काफी तेजी से चल रही है. हर किसी की निगाह आरक्षण पर लगी है.
शहर की मेयर सीट के आरक्षण को लेकर सट्टा भी शुरू हो गया है. बताया जाता है कि अनारक्षित को लेकर सबसे अधिक सट्टा चल रहा है, जबकि एससी और पिछड़ी जाति की सीट को लेकर कम सट्टा लगा है.
सोशल मीडिया पर वार्ड आरक्षण की फर्जी सूची वायरल हो रही है. बरेली नगर निगम के 80 वार्ड के आरक्षण की एक फर्जी सूची सोशल मीडिया पर कई दिन से वायरल हो रही है. जिसे लोग सच मान रहे हैं. अभी प्रशासन की तरफ से आरक्षण फाइनल नहीं हुआ है. मगर, लोगों को उम्मीद है कि वायरल फर्जी सूची 95 फीसद सही है.
2017 नगर निकाय चुनाव में बरेली नगर निगम के 80 वार्ड में से चार वार्ड बिहारीपुर सिविल लाइंस, जाटवपुरा, मॉडल टाउन और नौमहला वार्ड अनुसूचित जाति, महिला अनुसूचित जाति के लिए शुगर फैक्टरी और नवादा शेखान रिजर्व किए गए थे. 35 वार्ड जनरल (अनारक्षित) थे. 14 वार्ड अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित थे. इसमें नगर निगम के वार्ड छोटी बिहार, ब्रह्मपुरा, हजियापुर, संजय नगर, सुभाष नगर, मणिनाथ, मथुरापुर, राहपुरा चौधरी, महेशपुर, मलूकपुर, अटरिया, किला छावनी, सरनिया और सूफी टोला अन्य पिछड़ा वर्ग पुरुष के लिए आरक्षित थे, जबकि आजमनगर, कटघर, जौहरपुर, बेनीपुर चौधरी, फालतूनगंज, नई बस्ती और रबड़ी टोला पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित थे.
रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली