संजीव कुमार झा, भागलपुर: सात साल पहले योजना बनी. योजना थी-तीन लाख बुनकरों को कपड़े की डिजिटल डिजाइन तैयार कर देने की. इसके लिए 1.96 करोड़ की लागत पर टेस्टिंग लैब सह कंप्यूटर एडेड डिजाइन भवन तैयार हुआ. भवन का उद्घाटन भी हो गया, लेकिन कपड़े की डिजिटल डिजाइनिंग के लिए जरूरी सिलाई मशीन समेत कोई उपकरण नहीं लग पाये.
भवन वीरान पड़ा रहा. फिर अचानक इसी काम यानी कपड़े की डिजिटल डिजाइन तैयार कर देने के लिए एक अन्य भवन का निर्माण शुरू हो गया. भवन समेत नये डिजाइन स्टूडियो स्थापित करने में कुल 89 लाख 25 हजार की लागत आयी. दुर्भाग्यपूर्ण संयोग यह कि अब तक यह नया डिजाइन स्टूडियो भी शुरू नहीं हो पाया है. वजह, मशीनों के लिए जरूरी जगह के मुकाबले यह भवन छोटा पड़ गया है. एक तरफ 1.96 करोड़ से तैयार भवन बेकार पड़ा हुआ है, तो दूसरी ओर 89.25 लाख की लागत से शुरू नये डिजाइन स्टूडियो में भी कोई डिजाइन तैयार नहीं हो पा रही है.
एनएच-80 स्थित नाथनगर में बिहार रेशम एवं वस्त्र संस्थान परिसर में कंप्यूटर ऐडेड डिजाइन (कैड) भवन बनाने का प्रोजेक्ट 2014-15 में तैयार हुआ. 14 नवंबर, 2016 को भवन का निर्माण शुरू हुआ. करीब 18 महीने बाद 13 मई, 2018 को भवन बनकर तैयार हो गया. 1.96 करोड़ की लागत से निर्मित इस कैड भवन का वर्चुअल उद्घाटन 08 अगस्त, 2020 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया.
Also Read: प्रभात खबर स्टिंग: JLNMCH भागलपुर में दवा दलालों का खेल देखें, खून व निजी अस्पताल के दलालों का भी अड्डा
यह दो मंजिला भवन ऊंची चारदीवारी से घिरा हुआ है. कमरों में एयर कंडीशनर लगे हुए हैं. पूरी बिल्डिंग उन मानकों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गयी है, ताकि इसमें कपड़ों की डिजाइन तैयार कर बुनकरों को दी जा सके. कपड़ों व धागों की मजबूती की परख बुनकर कर सकें. लेकिन इस कैड भवन में आज तक कोई मशीन व उपस्कर नहीं लगाये जा सके.
पंखा टोली स्थित डिजाइन स्टूडियो एंड प्रोडक्शन सेंटर का क्षेत्रफल 937 वर्गफीट है. इस परियोजना अंतर्गत भवन एवं सभी उपस्कर सहित कुल प्रोजेक्ट पर 89 लाख 25 रुपये खर्च किये गये हैं. स्टूडियो के कमरे में फ्रेम लूम विथ जकार्ड मशीन, फ्रेम लूम विथ डॉबी, सिलाई मशीन व टेस्टिंग मशीन आदि संयंत्र रखने के बाद इतनी जगह नहीं बची है कि कोई टेक्नीशियन इसमें खड़े होकर काम कर सके. जगह नहीं रहने के कारण कई मशीनें तो अभी तक खोली भी नहीं जा सकी हैं. शुरुआती दौर में 30-40 डिजाइन तैयार किये गये. बाद में इसे रोक देना पड़ा है. यही वजह है कि इसका अब तक उद्घाटन नहीं हुआ है.
सवाल : रेशम संस्थान में जो टेस्टिंग लैब एंड कैड भवन बना है, उसमें क्या काम करने की योजना है ?
जीएम : नहीं-नहीं, उसकी स्टोरी आप आज नहीं लीखिये. वहां की आपको नयी स्टोरी बतायेंगे. वहां पढ़ाई शुरू होनेवाली है.
सवाल : जब कपड़े की डिजाइन तैयार करने के लिए एक बिल्डिंग पहले से उपलब्ध थी, तो नयी बिल्डिंग की क्या आवश्यकता पड़ी ?
जीएम : पंखा टोली में जो नयी बिल्डिंग बनी है, वह संस्था की जमीन है. उसमें भारत सरकार ने निर्णय लिया और बुनकर सेवा समिति द्वारा प्रस्ताव भेजा गया कि डिजाइन स्टूडियो इस जमीन पर बनायी जा सकती है. इसके आधार पर बिल्डिंग बनी. अब बिहार सरकार ने भी तीन लाख रुपये से थर्ड फ्लोर बनाने का आदेश दिया है.
प्रश्न : पहले से बनी बिल्डिंग का क्या होगा ?
जीएम : आपका कहना भी सही है. उद्योग विभाग के डायरेक्टर आये थे. उनका कहना था कि यहां पर से अच्छा था कि इसे कैड भवन में बना देते. कैड भवन में बनता, तो ज्यादा स्कोप होता. अब बन गया है, तो स्टार्ट करा दिये हैं. अब बहाली की प्रक्रिया होगी, ताकि डिजाइन का काम नियमित रूप से शुरू हो जाये. यह काम हमलोग जल्द करा देंगे. वहां डिजाइनर भी रखे हैं.
-
1.96 करोड़ की लागत से बने कंप्यूटर ऐडेड डिजाइन (कैड) भवन को क्यों नहीं शुरू किया गया?
-
कैड भवन के होते हुए पंखा टोली में डिजाइन स्टूडियो एंड प्रोडक्शन सेंटर की योजना कैसे तैयार हो गयी?
-
क्या यह विकास योजना के नाम पर पैसे की लूट का मामला नहीं है? इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
-
प्रभात खबर से बातचीत में जिला उद्योग केंद्र के जीएम संजय कुमार वर्मा ने कहा कि कैड भवन में पढ़ाई शुरू कराने की योजना है. क्या कैड भवन की डिजाइन इसके लिए सही है?
डिजाइन स्टूडियो में फैशन डिजाइनर द्वारा तैयार की जानेवाली कपड़े की नयी-नयी डिजाइन बुनकरों को कम कीमत में उपलब्ध करायी जाती है. यह डिजाइन मार्केट की मांग के अनुरूप होती है. साथ ही कपड़ों, धागों व रंगों की गुणवत्ता की जांच भी की जाती है. इससे बुनकरों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मार्केटिंग प्रतिस्पर्धा में आने में सहजता होती है.
Posted By: Thakur Shaktilochan