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प्रभात खबर स्टिंग: JLNMCH भागलपुर में दवा दलालों का खेल देखें, खून व निजी अस्पताल के दलालों का भी अड्डा

प्रभात खबर स्टिंग: भागलपुर के सबसे बड़े अस्पताल JLNMCH दलालों का अड्डा बन गया है. यहां खून और प्राइवेट अस्पताल के दलालों का खेल हम आपको पहले दिखा चुके हैं. आज यहां दवा के दलालों की सक्रियता आप भी देखें.

अंकित आनंद: भागलपुर का जवाहर लाल नेहरू मेडिकल अस्पताल इन दिनों दवा दलालों का सेफ जोन बनता जा रहा है. पूर्व में खून दलालों और निजी अस्पतालों के दलालों के पकड़े जाने के कई मामले सामने आने के बाद अब ये दवा दलाल खुलेआम बेखौफ होकर अस्पताल परिसर में फल फूल रहे हैं. सोमवार और मंगलवार को प्रभात खबर टीम गुप्त तरीके से इस पूरे मामले को अपने कैमरे में कैद करने पहुंची तो एक-दो नहीं बल्कि आधा दर्जन से अधिक दवा दलाल बेखौफ होकर अस्पताल परिसर में अपनी दुकानदारी चलाते पाये गये.

कमीशन का खेल और मरीज बनते निशाना

ओपीडी और इमरजेंसी से निकलने वाले मरीज के परिजन जिनके हाथ में अस्पताल का चिट्ठा देखते वे उनके पीछे पड़ जाते और सारी दवाओं को कम रेट में मुहैया कराने और एक जगह से दिलाने देने का झांसा देकर दलाल मरीजों के परिजनों को अपनी चंगुल में फंसा लेते और उन दुकानों पर लेकर जाते हैं जहां उनका कमीशन फिक्स रहता है. एक जगह बात नहीं बनने पर दूसरे मरीज के परिजन और वहां भी बात नहीं बनने पर तीसरे व्यक्ति की तरफ खुद ब खुद दलालों के पैर बढ़ने लगते. इसी बीच परिसर में पूर्व में पकड़े गये खून दलाल और निजी अस्पताल के दलाल भी दिखे.

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सिक्यूरिटी गार्डों के सामने होती है दलाली, फिर भी नहीं होती कार्रवाई

दलालों का यह सिलसिला सुबह से लेकर देर रात तक मायागंज अस्पताल परिसर में खुलेआम चलता है. इस बीच अस्पताल प्रबंधन से लेकर अस्पताल के सिक्यूरिटी गार्ड और वहां आने जाने वाली पुलिस के सामने दिन-रात ये सारा खेल चलता रहता है. इस बाबत जब अस्पताल परिसर स्थित पुलिस पिकेट में मौजूद पुलिसकर्मियों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि कई बार उन्हें पकड़ कर थाना को सौंपा गया है. पर किसी भी प्रकार की शिकायत नहीं होने की वजह से ये दलाल दाेबारा छूट कर वही काम करने लगते हैं. केस दर्ज नहीं होने की वजह से इन दलालों में पुलिस का डर भी खत्म हो चुका है.

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तीन माह पूर्व ही अस्पताल के हड्डी रोग विभाग में मरीज के परिजनों को उसी की बतायी दुकान से दवा खरीदने के लिए दबाव बनाते हुए एक दलाल को लोगों ने पकड़ लिया था. पहले तो उसकी पिटाई हुई और फिर उसे बरारी पुलिस को सौंप दिया गया. पर बाद में न तो अस्पताल प्रबंधन ने मामले में किसी भी प्रकार का आवेदन दिया और न ही मरीज के परिजनों ने शिकायत की. इसके बाद दलाल आराम से थाना से बांड पर छूट गया. बाद में अस्पताल प्रबंधन को जानकारी मिली कि उक्त दलाल अस्पताल में ही पेटी सप्लायर है जोकि मेडिकल उपकरणों की सप्लाई करता है.

ऐसे भागते रहे दलाल

कुछ माह पूर्व मेडिसिन इंडोर में एक दवा दलाल की पकड़ कर पिटाई की गयी थी. जब लोग उसे पुलिस को सौंपने ले जाने लगे तो वह लोगों की पकड़ से छूट कर फरार हो गया था. चार माह पूर्व इमरजेंसी में भी एक दलाल को पकड़ा गया था. बाद में उसे छोड़ दिया गया. वहीं कुछ साल पूर्व बरारी थाना में खून की दलाली का भी केस दर्ज हुआ था. इनमें कुछ लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था.

एक दवा दलाल से हुई प्रभात खबर संवाददाता की बात :

संवाददाता : कितनी कमाई हो जाती है दवा की दलाली से..

दलाल : अगर कोई मोटा मुल्ला मिल गया तो एक बार में पांच सौ से हजार रुपये, नहीं तो दस से 12 दवा के चिट्ठो पर पांच सौ से आठ सौ रुपये प्रति दिन की कमाई हो जाती है.

संवाददाता : इसके अलावा भी कुछ करते हो?

दलाल : अस्पताल के भीतर जाने पर अगर किसी अच्छे घर का मरीज और उसके परिजन मिलते हैं तो उन्हें निजी अस्पताल का भी पता बता देते हैं, और वहां उन निजी अस्पतालों के स्टाफ को बुला मरीज को दिखा देते हैं. बात फाइनल हो जाने के बाद पांच से दस हजार रुपये कमीशन भी मिल जाती है.

(नोट : अस्पताल परिसर में दवा दलालों की गतिविधि की सारी वीडियो प्रभात खबर के पास मौजूद है.)

Posted By: Thakur Shaktilochan

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