PU Student Union Election का चुनाव 19 नवंबर को होना है. पूरा कैंपस चुनावी रंग में रंगा है. सभी यूनियन अपने-अपने जीत का दावा कर रही है. बड़ी बात ये है कि छात्र संघ चुनाव में धनबल, बाहुबल और जाति की राजनीति भारी है. इस चुनाव में ओवैसी की इंट्री से धर्म का एंगिल भी सामने आने लगा है. बताया जा रहा है कि चुनाव में AIMIM के आने से नुकसान RJD और JAP को उठाना पड़ेगा. हालांकि, AIMIM ने बेहतर दाव खेलते हुए महिला कैंडिडेट को उतारा है. जो उसकी रुढ़िवादी छवि से अलग है.
एबीवीपी को होगा फायदा
कैंपस में करीब 20 प्रतिशत मुस्लिम छात्रों की संख्या है. जिसका वोट परंपरागत रुप से RJD या अन्य किसी छात्र को संघ को जाता है. एबीवीपी को काफी कम मुस्लिम का वोट मिलता है. ऐसे में समझा जा रहा है कि AIMIM को अन्य का वोट मिले या न मिले मगर मुस्लिम वोट मिलेगा. हालांकि केवल मुस्सिम वोट के सहारे चुनाव में जीत पाना मुश्किल है. ऐसे में अन्य पार्टी ओवैसी को वोट कटवा कहकर किनारे करने की कोशिश कर रही है. मगर इस सब के बीच मलाई ABVP को मिलने की संभावना है.
शुरू से हावी रहा है जातिवाद
पटना विवि में 1956 में छात्र संघ का गठन हुआ. इसके बाद 1970 से प्रत्यक्ष रुप से चुनाव होना शुरू हुआ. 70 के दशक के बाद से पटना विवि के छात्र संघ चुनाव में जातिवाद हावी रहा है. वोटिंग कैलिबर देखकर नहीं, जाति के आधार पर होती है. कैंपस में ओबीसी वोट का 37 प्रतिशत के करीब है. वहीं एससी-एसटी वोट मुस्लिम वोट के बराबर है. ओबीसी का वोट मिली जुली पार्टी को जाता है. इसमें ज्यादा वोट परसेंट उस संघ को ज्यादा है जिसका कैंडिडेट दलित हो.
राजद के खाते में जाता है मुस्लिम वोट
मस्मिम वोट का बड़ा हिस्सा राजद के खाते में जाता है. जो इस बार AIMIM के खाते में जाने की संभावना है. जबकि जनरल वोटर एबीवीपी और एनएसयूआई के साथ लेफ्ट को वोट देते हैं. चुनाव में खड़े कैंडिडेट एससी एसटी वोटरों को दूध में जामन की तरह देखते हैं. ये जिसके हिस्से जाते हैं उसे विजेता बना देते हैं. हालांकि, पिछले चार वर्ष के चुनाव में एससी एसटी मतदाताओं का ज्यादा वोट लेफ्ट की तरफ शिफ्ट हुआ है.