परंपराओं में जहां प्राण बसते हैं, संस्कृतियों में जहां प्रकृति की सुगंध है, हम उस झारखंड प्रदेश के बाशिंदे हैं. हम खुद को क्यों न गौरवान्वित समझें, जहां देवों के देव महादेव विराजते हैं, जहां जैन धर्म के तीर्थंकरों ने अध्यात्म के शिखर को स्पर्श कर सिद्धात्म को प्राप्त किया. अलग राज्य गठन का उद्देश्य बुनियादी समस्याओं का समाधान कर आम आदमी को राहत देना था. समावेशी विकास और जल जंगल जमीन से जुड़ी समस्याओं का निराकरण करना था.
राज्य आज अपने जन्म के 23वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, तो वर्ग विशेष की राजनीति से इतर जाकर समग्र विकास की सोच को आकार देना होगा और समाज के अंतिम व्यक्ति तक उम्मीदों के दीप जलाने होंगे, जो निराश होकर गांव की पगडंडियों पर बैठ विकास की बाट जोह रहा है. हर वर्ष आयोजित होनेवाले राज्य स्थापना दिवस पर ये सवाल उठते हैं कि राज्य स्थापना के उद्देश्यों के हम कितने करीब आ पाये…?
ये वक्त खामियां ढूंढने का नहीं है, बल्कि एक संकल्प लेने का दिन है, ताकि हम अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए, अपने सपनों के झारखंड के लिए विचारों का अनुमोदन कर उसे कार्यान्वित कर सकें. अब सवाल है कि विकास की अंगड़ाई लेने को आतुर झारखंड राज्य में विकास का दीप स्तंभ कैसे जलेगा?
विकास और जनकल्याण के लिए सरकार के कदम न रुके थे, न रुकेंगे, लगातार आगे बढ़ते रहेंगे. आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और वंचितों के दुख-दर्द दूर करने की दिशा में सरकार आगे बढ़ रही है. झारखंडवासियों की आत्मा और अस्मिता से जुड़े 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता और नियुक्ति तथा सेवाओं में आरक्षण वृद्धि विधेयक विधानसभा से पारित किया जा चुका है. आदिवासी और मूलवासियों को उनका अधिकार देने के साथ यहां रह रहे सभी लोगों के हितों का भी पूरा-पूरा खयाल रखा जायेगा. झारखंडवासियों को उनका मान-सम्मान और अधिकार मिले, इस के लिए लगातार प्रयास किये जाते रहेंगे.
राज्य के समावेशी विकास की एक महत्वपूर्ण कड़ी शिक्षा है, क्योंकि शिक्षा से ही सभ्यता की पगडंडियों को सशक्त किया जा सकता है और समाज में आर्थिक परिवर्तन लाया जा सकता है. स्कूल, कॉलेज के बुनियादी ढांचे को मजबूत कर शिक्षा को सर्वसुलभ बनाने का प्रयास जारी है. उसके बाद आवश्यकता है रोजगार की. रिक्तियों को भरना है, साथ ही निजी क्षेत्रों में झारखंड के लोगों को प्राथमिकता मिले, यह सुनिश्चित करना है.
हम सब मिल कर स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं. शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में कई योजनाओं के साथ कानून में भी बदलाव किये गये हैं, लेकिन इसके कार्यान्वयन के लिए जनता को जागरूक होना होगा.
झारखंड की माटी खेल और खिलाड़ी के लिए काफी उर्वर है. खेल और खिलाड़ियों को लेकर वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना की शुरुआत इस दिशा में एक सार्थक प्रयास है. खिलाड़ियों को उनके अधिकारों से कोई वंचित नहीं कर सकता. राज्य में खेल और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने का कानून बनाया गया है, जिसके सकारात्मक नतीजे भी सामने आये हैं, फिर भी इस दिशा में अभी काफी काम बाकी है.
कृषि के क्षेत्र में भी काफी संभावनाएं हैं. किसानों के आर्थिक सुदृढ़ीकरण के लिए खाद, बीज और यांत्रिक सुविधाएं देना, साथ ही खेतों को पानी मिले, उसके लिए छोटे और मंझोले डैम का निर्माण किया जा रहा है. योजनाओं का निर्माण करना ही सरकार का उद्देश्य नहीं है, बल्कि योजनाओं को धरातल पर उतार कर सर्वमान्य बनाना सरकार का उद्देश्य है. ये हम मानते हैं कि झारखंड की राजनीतिक परिदृश्य की वजह से विकास प्रभावित होता रहा है, लेकिन अविचल विचारों की प्रेरणा लेकर हमने सफलताएं भी हासिल की है.
गांव के विकास की प्रामाणिकता इस बात की गवाह है कि हम विकास के पथ पर सतत अग्रसर हैं. कोविड संक्रमण के दौर में भी हमने अपनी रफ्तार कम नहीं होने दी, जो इस बात का प्रमाण है कि चुनौतियां हमें रोक नहीं सकती. मनरेगा के तहत रोजगार सृजन का कार्य, किशोरी समृद्धि योजना, सर्वजन पेंशन योजना, फूलो-झानो आशीर्वाद योजना की शुरुआत कर सम्मानजनक जीविका के संसाधन उपलब्ध कराना जैसी कई योजनाओं को अमलीजामा पहनाया गया है.
जन-जन तक योजनाओं का लाभ पहुंचे, गांव की पगडंडियों पर विकास की बाट जोहते व्यक्ति तक सरकार की योजनाएं पहुंचे, इसी उद्देश्य के साथ आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे है.
जनकल्याणकारी विचारों से अभिप्रेत आपकी सरकार समेकित विकास की पक्षधर है. हम कृषि के साथ ही साथ औद्योगिक प्रगति कर रहे हैं. खान-खनिज, कुशल श्रम और संवेदनशील कानून-व्यवस्था की त्रिवेणी से हम जनभागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कटिबद्ध हैं. जनहित की सोच के साथ निरंतर विकास करना है,
आवश्यकता सिर्फ इतनी सी है कि विचारों में सकारात्मकता हो, अटल इरादे हों और पारदर्शी प्रशासन की सार्थकता के साथ उत्कृष्ट संकल्प हो. यह संकल्प का ही परिणाम है की 1932 खतियान आधारित स्थानीयता और नियुक्ति तथा सेवाओं में आरक्षण वृद्धि विधेयक विधानसभा में पारित हुआ. 22 वर्ष का युवा झारखंड अपनी राह स्वयं बनाने में सक्षम है. विकास की राह में कुछ अड़चनें हो सकती है, परंतु नदी अपनी राह अवश्य बना लेती है.
सभी को शुभकामनाओं के साथ
जोहार….