भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को पूरे देश में जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, जो पहले झारखंड की राज्यपाल भी रह चुकीं हैं, बिरसा मुंडा के गांव उलिहातू पहुंच गयीं हैं. यहां वह बिरसा के वंशजों से मिलेंगी. राष्ट्रपति की यात्रा के मद्देनजर खूंटी जिला में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के इंतजाम किये गये हैं.
लोगों को कीताहातु स्थित सरदार गया मुंडा शहीद चौक से आगे नहीं जाने दिया जा रहा है. यहां तक कि पत्रकारों को भी उलिहातू से 10-12 किलोमीटर दूर ही रोक दिया गया. सिर्फ उन्हीं लोगों को उलिहातू जाने की अनुमति दी गयी है, जिनका पास बना है. राष्ट्रपति सुबह रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर उतरीं. यहां उनको गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. इसके पहले राज्यपाल रमेश बैस और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उनका एयरपोर्ट पर स्वागत किया.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की यात्रा के मद्देनजर पूरे खूंटी जिला में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल के जवानों को तैनात किया गया है. आसपास के जंगलों में झारखंड पुलिस, जगुआर के साथ-साथ केंद्रीय बल के जवानों को भी उतारा गया है. बता दें कि खूंटी झारखंड का घोर उग्रवाद प्रभावित जिला है.
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पहले उलिहातू के अलावा खूंटी जिला मुख्यालय में भी एक कार्यक्रम में शामिल होना था. लेकिन, दो दिन पहले उनके कार्यक्रम में फेरबदल हुआ और खूंटी का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया. राष्ट्रपति को देवघर भी जाना था, लेकिन वह भी कार्यक्रम रद्द हो गया.
इतना ही नहीं, राजधानी रांची में आयोजित होने वाले झारखंड स्थापना दिवस समारोह में भी महामहिम को शामिल होना था. उसे भी रद्द कर दिया गया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को देवघर में बाबा बैद्यनाथ के मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए भी जाना था, लेकिन जब राष्ट्रपति सचिवालय से उनका कार्यक्रम जारी हुआ, तो उसमें यह कार्यक्रम नहीं था.