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Karnataka: मुरुघ शरणारू की बढ़ी मुश्किलें, यौन उत्पीड़न का नया मामला दर्ज, जानें क्या है पूरा मामला?

जगद्गुरु मुरुगराजेंद्र विद्यापीठ मठ द्वारा संचालित एक हाई स्कूल में पढ़ने वाली कम से कम दो लड़कियों के यौन उत्पीड़न के आरोप में शरणारू वर्तमान में चित्रदुर्ग जेल में हैं, क्योंकि उन्हें 1 सितंबर को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था.

Karnataka: लिंगायत संत शिवमूर्ति मुरुघ शरणारू, कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले में एक प्रमुख मठ के पूर्व पुजारी, नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न के आरोपी है. अब एक और मामला सामने आ रहा है जिसमें मुरुघ शरणारू पर 2013 से 2015 के बीच यौन उत्पीड़न का केस दर्ज किया गया है. चार्जशीट में कहा गया है कि जब सभी लोग सो जाते थे तब शरणारू किशोरी को बुलाता था और गलत काम करता था. साथ ही वो इस बात का भी ध्यान देता था दूसरों के जगने से पहले किशोरियां अपने कमरे में चली जाए.

वर्तमान में चित्रदुर्ग जेल में हैं शरणारू

जगद्गुरु मुरुगराजेंद्र विद्यापीठ मठ द्वारा संचालित एक हाई स्कूल में पढ़ने वाली कम से कम दो लड़कियों के यौन उत्पीड़न के आरोप में शरणारू वर्तमान में चित्रदुर्ग जेल में हैं, क्योंकि उन्हें 1 सितंबर को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था. 27 अगस्त को प्राथमिकी दर्ज होने के एक हफ्ते बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था. 27 अक्टूबर को जांच दल ने मामले में जिले की दूसरी अतिरिक्त एवं सत्र अदालत के समक्ष 694 पन्नों का आरोप पत्र पेश किया और इसमें साधु और दो अन्य आरोपियों को नामजद किया.

‘द्रष्टा द्वारा हर रात कमरे में बुलाया जाता था’

अपने आरोप पत्र में, जिसकी एक प्रति हिंदुस्तान टाइम्स ने देखने का दावा किया है उसमें, पुलिस ने उस महिला द्वारा साझा किए गए हमले का विस्तृत विवरण प्रदान किया है, जो घटना के समय 13 वर्ष की थी. उसमें विस्तार से बताया गया है कि कैसे उसे द्रष्टा द्वारा हर रात अपने कमरे में बुलाया जाता था और सुबह 4.30 या 5 बजे उसके छात्रावास में वापस भेजने से पहले उसका यौन उत्पीड़न किया जाता था.

‘जब रश्मि ने हॉस्टल वार्डन के रूप में पदभार संभाला, तब बढ़ी परेशानी’

महिला ने कहा कि श्रुति और अपूर्वा जब हॉस्टल में आईं तो वार्डन थीं. उन्होंने कहा, “तब हमें किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा.” उन्होंने कहा कि यह परेशानी 2013-2014 में शुरू हुई जब रश्मि ने हॉस्टल वार्डन के रूप में पदभार संभाला. एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि मामले की जांच शुरू होने के बाद पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) एच आर अनिल कुमार के नेतृत्व में एक टीम ने महिला की पहचान की और उसे अपना बयान देने के लिए राजी किया.

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