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झारखंड के कॉलेजों को 8000 में चाहिए एमटेक शिक्षक, घंटी के आधार पर दिया जाता है मानदेय

जैक द्वारा संविदा पर रखे जानेवाले शिक्षकों के मानदेय में पिछली बार वर्ष 2019 में बढ़ोतरी की गयी थी. इसके बाद से वृद्धि नहीं हुई है. झारखंड अंगीभूत महाविद्यालय इंटरमीडिएट अनुबंध शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी संघ के सदस्य अवधेश ठाकुर इसे दयनीय स्थिति बताते हैं.

राज्य के अंगीभूत कॉलेजों में इंटरमीडिएट के बच्चों को पढ़ानेवाले शिक्षकों की नियुक्ति के लिए योग्यता पीजीटी के अनुरूप रखी गयी है. कॉलेजों की ओर से संविदा पर नियुक्त किये जानेवाले इन शिक्षकों की योग्यता एमएससी / एमटेक मांगी जाती है. जबकि, राज्य के अधिकतर कॉलेजों में इन शिक्षकों को घंटी के आधार पर मानदेय के रूप में प्रतिमाह छह से आठ हजार रुपये दिये जाते हैं. वहीं, कॉलेजों में अवकाश होने की स्थिति में कई माह मानदेय पांच हजार से भी कम हो जाता है, जो फोर्थ ग्रेड के एक कर्मी के मानदेय से भी कम है. हालांकि, झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) ने इन शिक्षकों के लिए प्रति घंटी 400 और अधिकतम 12 हजार मानदेय निर्धारित कर रखा है.

साहिबगंज कॉलेज में पिछले दिनों इंटर की कक्षा के लिए गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगा गया था. कॉलेज में कंप्यूटर साइंस, भूगोल व भूगर्भशास्त्र विषय के लिए एक-एक शिक्षक की संविदा पर नियुक्त होनी है. शिक्षकों के मानदेय के संबंध में कहा गया है कि शिक्षक को 400 रुपये प्रति कक्षा व अधिकतम आठ हजार रुपये मानदेय दिया जायेगा. शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता में एमए/एमएससी/ एमटेक साथ में बीएड, एमएड, नेट को प्राथमिकता देने की बात कही गयी है. राज्य के अधिकतर कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति व मानदेय की यही स्थिति है. कॉलेज द्वारा नियुक्ति को लेकर जारी पत्र में कहा गया है कि शिक्षक को मानदेय का भुगतान भी तब किया जायेगा, जब जैक फंड में राशि उपलब्ध होगी. राशि उपलब्ध नहीं होने पर मानदेय भुगतान का किसी प्रकार का कोई दावा मान्य नहीं होगा.

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राज्य के अंगीभूत कॉलेजों में कार्यरत हैं लगभग 1300 शिक्षक

फिलहाल राज्य के 64 अंगीभूत कॉलेजों में से 55 में इंटर की पढ़ाई होती है. इनमें लगभग एक लाख विद्यार्थी पढ़ रहे हैं. ज्यादातर कॉलेजों में इंटरमीडिएट स्तर पर तीनों संकाय (विज्ञान, वाणिज्य व कला) में नामांकन लिया जाता है. इंटरमीडिएट की कक्षाओं के लिए इन कॉलेजों में लगभग 1300 शिक्षक कार्यरत हैं. ये शिक्षक लगभग 15 वर्षों से कक्षाएं ले रहे हैं. इनकी नियुक्ति शुरुआत में प्रति माह चार हजार के मानदेय पर की गयी थी. बाद में इसे बढ़ाकर छह हजार, आठ हजार व अब अधिकतम 12 हजार किया गया है. जैक द्वारा संविदा पर रखे जानेवाले इन शिक्षकों के मानदेय में पिछली बार वर्ष 2019 में बढ़ोतरी की गयी थी. इसके बाद से वृद्धि नहीं हुई है. झारखंड अंगीभूत महाविद्यालय इंटरमीडिएट अनुबंध शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी संघ के सदस्य अवधेश ठाकुर इसे दयनीय स्थिति बताते हैं.

शिक्षकों को फोर्थ ग्रेड कर्मचारी से भी कम मानदेय

  • आखिरी बार वर्ष 2019 में बढ़ाया गया था शिक्षकों का मानदेय

  • जैक ने अधिकतम 12 हजार रुपये निर्धारित किया है मानदेय

विश्वविद्यालय नहीं लेते हैं पढ़ाई का जिम्मा

राज्य का कोई भी विश्वविद्यालय अपने अंगीभूत कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई की जिम्मा नहीं लेता है. इंटर की कक्षा का संचालन पूरी तरह कॉलेज स्तर से होता है. वहीं, शिक्षा विभाग भी कभी कॉलेजों की पढ़ाई को लेकर न तो कोई दिशा-निर्देश जारी करता है न ही इसकी समीक्षा. कॉलेजों में कक्षा संचालन विवि के कैलेंडर के अनुरूप ही होता है.

रिपोर्ट : सुनील कुमार झा, रांची

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