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Gorakhpur Health: गोरखपुर में ठंड की दस्तक के साथ निमोनिया के मरीज बढ़े, बच्चे और बुजुर्ग ज्यादा बीमार

सर्दी जुकाम के बाद निमोनिया के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है. डॉक्टरों ने ठंड से बचने की सलाह देते हुए कहा कि दिक्कत होने पर सरकारी अस्पतालों में उपचार कराएं.

Gorakhpur News: गोरखपुर में धीरे-धीरे ठंड का असर बढ़ने से बीमारियों को लेकर भी लोगों की परेशानी में इजाफा हो रहा है. गोरखपुर के जिला चिकित्सालय और मेडिकल कॉलेज में निमोनिया के मरीज बढ़ने लगे हैं. बच्चों के साथ-साथ बुजुर्गों में भी इसका असर देखने को मिल रहा है.

सर्दी जुकाम के बाद निमोनिया के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है. डॉक्टरों ने ठंड से बचने की सलाह देते हुए कहा कि दिक्कत होने पर सरकारी अस्पतालों में उपचार कराएं. गोरखपुर जिले में निमोनिया का टीका न्यूमो काकल कंजूगेट वैक्सीन खत्म होने की स्थिति में है.

जिले में केवल ढाई हजार डोज बची हुई है. लखनऊ बार-बार मांग भेजी जा रही है. लेकिन, टीका उपलब्ध नहीं हो रहा है. जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉक्टर नंदलाल कुशवाहा ने बताया कि 10 हजार डोज की मांग की गई थी, मात्रा 2,500 डोज मिले हैं.

निमोनिया का टीका एक वर्ष तक के बच्चों को लगता है. एक साल में निमोनिया के तीन डोज बच्चों में लगते हैं. पहला डेढ़ महीने दूसरा तीन महीने और तीसरा 9 महीने पर लगाया जाता है. बाल रोग विशेषज्ञ और इंसेफेलाइटिस उन्मूलन अभियान के चीफ कंपेनर डॉ. आरएन सिंह  ने बताया कि निमोनिया का खतरा 6 माह से 2 साल तक के बच्चों को अधिक होता है. जो बच्चे मां का दूध पीते हैं, उनकी मां को विभिन्न बीमारियों से बचने की जरूरत है. उनको अपने खान-पान पर भी ध्यान रखना है, क्योंकि अगर मां बीमार होगी तो बच्चों को भी बीमार होने का खतरा ज्यादा रहता है.

निमोनिया के लक्षण

  • बलगम वाली खांसी आना.

  • सांस लेने में दिक्कत होना.

  • सांस फूलना.

  • सीने में दर्द और बेचैनी होना.

  • भूख कम लगना या ना लगना.

  • शरीर में कमजोरी महसूस करना.

निमोनिया से बचाव

  • प्रतिदिन 6 से 8 गिलास पानी पीना.

  • बोर्न बेबी को समय से निमोनिया का टीका लगवाना.

  • माताएं अच्छे तरीके से बच्चों को दूध पिलायें.

  • माताएं स्वस्थ और स्वच्छ भोजन करें.

  • मीट, मछली या अंडे को भोजन में शामिल करें.

  • बच्चों को उतने ही कपड़े पहनाएं, जिससे उनका शरीर गर्म रहे.

  • घर और आसपास स्वच्छता बनाए रखें.

रिपोर्ट– कुमार प्रदीप, गोरखपुर

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