झारखंड हाइकोर्ट ने रिम्स में इलाज की लचर व्यवस्था और विभिन्न संवर्गों में रिक्त पदों पर नियुक्ति काे लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए रिम्स निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद को शो कॉज नोटिस जारी किया. कोर्ट ने पूछा कि क्यों नहीं आपके खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जाये.
28 जनवरी 2022 को चार माह के अंदर सभी स्वीकृत व खाली पदों को भरने का जो आदेश दिया गया था, उसका अनुपालन अब तक क्यों नहीं किया गया. सभी रिक्त पदों पर नियुक्ति क्यों नहीं की गयी. इसके अलावा चतुर्थ वर्ग के 467 विभिन्न पदों पर नियुक्ति के लिए जो विज्ञापन निकाला गया, उसमें झारखंड के नागरिकों, बाद में सुधार कर झारखंड के निवासियों से आवेदन क्यों मांगा गया. यह किस कानून, नियम, परिनियम, सर्कुलर या सरकार के किस आदेश से इस तरह का आवेदन मांगा गया है.
सभी पद झारखंड के लोगों के लिए क्यों आरक्षित कर दिया गया. सुनवाई के दाैरान रिम्स निदेशक के उपस्थित नहीं रहने पर अदालत ने नाराजगी जतायी. 18 नवंबर के पूर्व शो कॉज का जवाब दायर करने का निर्देश दिया. वहीं रिम्स में चतुर्थ वर्ग के 467 विभिन्न पदों पर चल रही नियुक्ति प्रक्रिया के तहत चयनित अभ्यर्थियों को अगले आदेश तक नियुक्ति पत्र देने पर खंडपीठ ने रोक लगा दी. रिम्स में पूर्व से कार्यरत कर्मियों की सेवा नियमित करने को लेकर दायर याचिकाओं पर कोई आदेश पारित नहीं किया. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 18 नवंबर की तिथि निर्धारित की.
मामले की सुनवाई के दाैरान रिम्स की ओर से डॉ अशोक कुमार सिंह ने पक्ष रखा. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि मैंने निदेशक को सुनवाई के दाैरान उपस्थित रहने को नहीं कहा था. उनके आग्रह को खंडपीठ ने स्वीकार करते हुए निदेशक के उपस्थित रहने पर दबाव नहीं दिया. उल्लेखनीय है कि रिम्स में इलाज की लचर व्यवस्था को गंभीरता से लेते हुए झारखंड हाइकोर्ट ने उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.