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लश्कर और जैश के मंसूबों पर पानी फेरेगा भारत, हमलों के लिए अफगानिस्तानी जमीन का नहीं करने देगा इस्तेमाल

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने तालिबान पर अफगान महिलाओं तथा लड़कियों के मानवाधिकारों का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए गुरुवार को एक प्रस्ताव पारित किया. उसने तालिबान पर एक प्रतिनिधि सरकार स्थापित करने में नाकाम रहने तथा देश को गंभीर आर्थिक, मानवीय और सामाजिक स्थिति में डालने का आरोप लगाया.

नई दिल्ली : भारत ने विश्व समुदाय से सामूहिक रूप से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकियों को आश्रय और प्रशिक्षण देने तथा आतंकवादी गतिविधियों की योजना बनाने के लिए नहीं करने दिया जाएगा. खासकर विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के मंसूबों पर तो हर हाल में पानी फेर दिया जाएगा. संयुक्त राष्ट्र में भारत के उपस्थायी प्रतिनिधि और राजदूत आर रवींद्र ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक सत्र के दौरान जर्मनी के प्रस्ताव पर ये बातें विश्व समुदाय के सामने रखी.

संयुक्त राष्ट्र में तालिबान के खिलाफ प्रस्ताव पारित

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने तालिबान पर अफगान महिलाओं तथा लड़कियों के मानवाधिकारों का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए गुरुवार को एक प्रस्ताव पारित किया. उसने तालिबान पर एक प्रतिनिधि सरकार स्थापित करने में नाकाम रहने तथा देश को गंभीर आर्थिक, मानवीय और सामाजिक स्थिति में डालने का आरोप लगाया. प्रस्ताव में 15 महीने पहले अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद से देश में निरंतर हिंसा और अल-कायदा तथा इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी समूहों के साथ ही विदेशी आतंकवादी लड़ाकों का भी जिक्र किया गया है.

पाकिस्तान-चीन ने प्रस्ताव पर वोटिंग से रहे दूर

संयुक्त राष्ट्र में जर्मनी की राजदूत अंतजे लींदर्त्से ने उम्मीद जतायी थी कि 193 सदस्यीय महासभा आम सहमति से जर्मनी द्वारा प्रस्तावित इस प्रस्ताव को पारित कर देगी. इस प्रस्ताव को 116 सदस्यों ने मंजूरी दी. रूस, चीन, बेलारूस, बुरुंडी, उत्तर कोरिया, इथियोपिया, गिनी, निकारागुआ, पाकिस्तान और जिम्बावे समेत 10 देश प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहे. 67 देशों ने वोट नहीं दिया. सुरक्षा परिषद की तुलना में महासभा के प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्य नहीं हैं, लेकिन वे दुनिया की राय को दर्शाते हैं. मतदान से पहले जर्मन राजदूत ने महासभा में कहा कि अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान ने बड़े पैमाने पर आर्थिक तथा मानवीय संकट देखा है, जिससे आधी आबादी गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रही है. प्रस्ताव में महिलाओं तथा लड़कियों के खिलाफ यौन हिंसा समेत मानवाधिकारों के उल्लंघन पर गहरी चिंता व्यक्त की गई है.

आतंकवादी कृत्यों के लिए अफगान का न हो इस्तेमाल

आर रवींद्र ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का सामूहिक दृष्टिकोण संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 द्वारा निर्देशित है, जिसे पिछले साल अपनाया गया था. उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट रूप से मांग करता है कि अफगानिस्तान के क्षेत्र का उपयोग आतंकवादी कृत्यों को आश्रय, प्रशिक्षण, योजना या वित्तपोषण के लिए नहीं किया जाना चाहिए, खासकर लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद सहित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी व्यक्तियों और संस्थाओं के लिए तो बिल्कुल ही नहीं. उन्होंने कहा कि भारत ने यूएनएससी की निगरानी टीम द्वारा निभाई गई उपयोगी भूमिका को नोट किया है और उनसे उन सभी आतंकवादी समूहों की निगरानी और रिपोर्ट करना जारी रखने की उम्मीद करता है, जो अन्य देशों को निशाना बनाने के लिए अफगानिस्तान को आधार के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं.

अफगान में मौजूद हैं लश्कर और जैश के लड़ाके

हाल के वर्षों में निगरानी दल की कई रिपोर्टों में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के सैकड़ों लड़ाकों के अफगानिस्तान में मौजूद होने की बात कही गई है. अन्य रिपोर्टों में कहा गया है कि वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) द्वारा पाकिस्तान पर आतंकी वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए दबाव बनाने के बाद दो प्रतिबंधित समूहों ने अपने लड़ाकों को अफगानिस्तान में स्थानांतरित कर दिया.

भारत का अफगानिस्तान के साथ ऐतिहासिक मित्रता

आर रवींद्र ने कहा कि अफगानिस्तान के निकटवर्ती पड़ोसी भारत का दृष्टिकोण अफगान लोगों के साथ हमारी ऐतिहासिक मित्रता और हमारे विशेष संबंधों द्वारा निर्देशित होगा. उन्होंने कहा कि एक पड़ोसी और अफगानिस्तान के लंबे समय से सहयोगी के रूप में, भारत का देश में शांति और स्थिरता की वापसी सुनिश्चित करने में सीधा दांव है. भारत अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति की बारीकी से निगरानी करता है और आतंकवादी हमले जो पूजा स्थलों और शैक्षणिक संस्थानों विशेष रूप से अल्पसंख्यकों को लक्षित करते हैं, एक प्रवृत्ति बन गई है.

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मादक पदार्थों की तस्करी का खतरा हमेशा बरकरार

भारतीय राजदूत ने कहा कि आतंकवाद के मुद्दे से जुड़ा हुआ मादक पदार्थों की तस्करी का खतरा है. हमने हाल ही में अपने बंदरगाहों पर और अपने तटों से दूर समुद्र में बड़ी मात्रा में ड्रग्स को जब्त किया है. इन तस्करी नेटवर्क को बाधित और नष्ट करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि भारत ने अफगानिस्तान में समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाली समावेशी व्यवस्था का आह्वान करना जारी रखा है और अफगानिस्तान में दीर्घकालिक शांति और स्थिरता के लिए व्यापक-आधारित, समावेशी और प्रतिनिधि गठन आवश्यक है.

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