राजश्री बैनर की फ़िल्म ऊंचाई (Uunchai) ने सिनेमाघरों में दस्तक दे दी है. इस फ़िल्म में अभिनेत्री सारिका भी अहम भूमिका में हैं. वे इस फ़िल्म को कई मायनों में खास करार देती हैं क्योंकि इस फ़िल्म का चेहरा 60 प्लस एक्टर्स हैं. अभिनेत्री सारिका से इस फ़िल्म उनके करियर सहित कई पहलुओं पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत.
निजी जिंदगी में कभी आपने ट्रैकिंग की है?
नहीं ,इसी फ़िल्म के लिए पहली और आखिरी बार किया. मैंने इसे एन्जॉय किया लेकिन एक महीने हमें इसमें लगे. यह लाइफटाइम अनुभव था.
आपकी बॉन्डिंग इस फ़िल्म के कलाकारों के साथ कैसी रही?
बहुत ही अच्छी रही. सभी कमाल के एक्टर्स होने के साथ- साथ बहुत सिक्योर एक्टर भी हैं. जिस वजह से आप फ़िल्म के सेट पर एक टीम की तरह परफॉर्म करते हैं. कई बार एक्टर्स एक दूसरे के साथ मस्ती,मज़ाक और एन्जॉय तो करते हैं, लेकिन कैमरा ऑन होते ही वह इनसिक्योर हो जाते हैं. वे अपने बारे में ही सोचते हैं, लेकिन इस फ़िल्म के सेट पर ऐसा नहीं था. अनुपम जी और नीना जी के साथ मैंने पहली बार काम किया है. बोमन जी के साथ थोड़ा-बहुत काम किया है. अमित जी के साथ तो बहुत काम किया है. उनके साथ काम करना हमेशा ही एक अलग ही लेवल का अनुभव होता है.
आपने अपने करियर की शुरुआत राजश्री बैनर से की थी,उस वक़्त की क्या यादें हैं?
उस वक़्त मैं बहुत छोटी थी. मुझे सूरज जी याद नहीं है. गुप्ता जी मुझे याद हैं. वे आज भी ऐसे ही हैं. ताराचंद जी से सभी बहुत डरते थे. वे तभी बुलाते थे जब आपने अच्छा काम किया हो या फिर कुछ खराब. छोटी थी तो ज़्यादा डर इसी बात का रहता था.
अब फिल्मों के साथ-साथ ओटीटी भी हैं,लेकिन आप कम प्रोजेक्ट्स कर रही हैं, इसकी क्या वजह हैं?
मैं केवल वही काम करती हूं, जो मुझे एक कलाकार के रूप में प्रेरित करता है. मुझे अपने काम पर घमंड नहीं करना है लेकिन मुझे एन्जॉय करना है. यह सिर्फ पैसे या अभिनय के बारे में नहीं है. आप जो कर रहे हैं उसमें आपको खुशी महसूस करनी होगी, अगर मुझे मजा नहीं आता है तो काम करने का कोई मतलब नहीं है. और भी बहुत सी चीजें हैं, जिन पर आप नियंत्रण नहीं कर सकते हैं. दर्द आता है, दुख आता- जाता रहता है,लेकिन यही वह समय है जब आप इसे नियंत्रित कर सकते हैं, जब आप काम वो काम करते हैं. जो एन्जॉय करते हैं.
अपनी बायोग्राफी लिखने की सोच रही हैं?
मैं बहुत ही प्राइवेट इंसान हूं लेकिन मैं इस बात को भी मैं कहूंगी. ज़िन्दगी में कभी किसी चीज़ के लिए नही कहना चाहिए. हो सकता है कि एक सुबह मैं उठूं और मुझे लगे कि मुझे एक किताब लिखनी चाहिए. किताब मैं लिख सकती हूं,लेकिन मैं अपने काम के बारे में लिखूंगी।अपनी ज़िंदगी के बारे में नहीं. वो तो सभी को पता है. 5 साल की उम्र से मेरी ज़िंदगी में क्या हुआ ये सभी को पता है इसलिए अब लगता है कि ज़िन्दगी में कुछ तो प्राइवेट रहे, तो मैं अपने काम के बारे में लिख सकती हूं. जहां मैं अपने स्पॉट बॉय से लेकर अपने वॉचमैन तक के बारे में बात कर सकूं.
क्या फ़िल्म की स्क्रिप्ट लिखना आपकी विशलिस्ट में हैं?
मैं अच्छी लेखक नहीं हूं. अपने विचारों को मैं पेपर पर नहीं लिख सकती हूं.
एक्टिंग के अलावा क्या चीज़ें आपको पसंद है?
मुझे पढ़ना बहुत पसंद है. आप इसे मेरा पहला प्यार कह सकते हैं. इसके अलावा मुझे फिल्में और डॉक्यूमेंट्रीज देखने का बहुत शौक है. मैं लगातार फिल्में देख सकती हूं. इन सबके अलावा मुझे रिसाइकल से भी इनदिनों बेहद लगाव हो गया है. यह हॉबी मुझमे कोविड के दौरान विकसित हुई. लाइज़ोल कि बोतल और टिन के डिब्बों से मैं पेन होल्डर सहित कई अलग -अलग इस्तेमाल में होने वाली चीज़ें बनाती हूं. मेरे तो फ्रेंड्स भी मुझे इसके लिए आर्डर देने लगे हैं.
क्या आप अभी भी थिएटर में एक्टिव हैं?
मुझे लगता है कि थिएटर अब बस हो गया. लॉकडाउन से पहले तक मैंने पांच साल थिएटर किया था. उसके बाद लॉकडाउन आ गया और फिर मैं फिल्में करने लगी. अब मैं वापस थिएटर में नहीं जाना चाहती हूं.