गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 की तारीख के ऐलान के बाद से लोग भाजपा की पहली सूची का इंतजार कर रहे थे. उनका ये इंतजार गुरुवार को खत्म हुआ और पार्टी ने 160 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की. इस सूची पर नजर डालें तो इसमें सबसे प्रमुख नाम पिछले दिनों कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले नेता हार्दिक पटेल का है जिसे भाजपा की ओर से वीरमगाम सीट से चुनावी मैदान में उतारा गया है. तो आइए जानते हैं कितना मुश्किल है हार्दिक के लिए चुनाव में जीत दर्ज करना….
पाटीदार आरक्षण आंदोलन से उभरे युवा नेता हार्दिक पटेल को वीरमगाम सीट से भाजपा ने टिकट दिया है, जहां से चुनाव जीतना हार्दिक पटेल के लिए जरूरी है. इस सीट के इतिहास पर नजर डालें तो यहां बारी -बारी से जनता कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा को मौका देती रही है. हालांकि 2012 विधानसभा चुनाव के बाद यहां कांग्रेस का कब्जा है. जानकारों के अनुसार हार्दिक पटेल को इस सीट पर जीतकर दिखाना होगा जिससे उनका भावी सियासी कद भी ऊंचा हो जाएगा.
*ठाकोर समुदाय के 55000(लगभग)
*पाटीदार समुदाय के 50000(लगभग)
*दलित समुदाय के 25000(लगभग)
*कोली पटेल समुदाय के 20000(लगभग)
*मुस्लिम समुदाय के 19000(लगभग)
*अन्य समुदाय के 10000(लगभग)
वीरमगाम सीट पर कुल-265000(लगभग)
पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में पटेल आंदोलन की वजह से अच्छी खासी सीटों का नुकसान भाजपा को हुआ था. यही नहीं पिछले चुनाव में हार्दिक पटेल कांग्रेस के साथ थे और चुनाव प्रचार कर रहे थे. भाजपा ने इस बार हार्दिक को पटेलों के गढ़ से टिकट दिया है. अब देखना होगा कि हार्दिक पटेल पर पटेल समुदाय कितना भरोसा करता है.
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वीरमगाम सीट पर हुए पिछले चुनाव पर नजर डालें तो यहां से 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने डॉ. तेजश्रीबेन दिलीपकुमार पटेल को मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें कांग्रेस ने इस सीट से पराजित कर दिया. इसके पूर्व 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रागजीभाई नारानभाई पटेल को यहां से उतारा था जिन्हें तेजश्री बेन दिलीपकुमार के हाथों हार का सामना करना पड़ा. 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी कामभाई गागजीभाई राठौड़ ने वीरमगाम से जीत दर्ज की थी.