Jharkhand Foundation Day: झारखंड के वीर शहीद बिरसा मुंडा और शहीद सिदो मुरम्मू के वंशजों के लिए 100 करोड़ रुपये का फंड बनाने की मांग राष्ट्रपति से की गयी है. आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से यह मांग की है. झारखंड स्थापना दिवस (Jharkhand Sthapna Diwas) के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के झारखंड आगमन से पहले पूर्व सांसद ने यह मांग की है.
सालखन मुर्मू ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी है कि वीर शहीद बिरसा मुंडा और वीर शहीद सिदो मुर्मू के वंशजों के लिए दो अलग-अलग ट्रस्ट का गठन करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कम से कम 100 करोड़ रुपये का एक फंड बनाया जाये. उन्होंने कहा है कि यह उन वीर शहीदों के वंशजों का सम्मान होगा. इससे उन्हें न्याय मिलेगा. उनकी सुरक्षा और समृद्धि सुनिश्चित होगी.
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सालखन मुर्मू ने अपने पत्र में लिखा है, ‘महामहिम आप 14 और 15 नवंबर, 2022 को झारखंड स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने झारखंड आ रही हैं. आपका हार्दिक स्वागत है. दुलाड़ जोहार है. आपके प्यार और आशीर्वाद से झारखंड आगे बढ़े, महान वीर शहीदों का सपना ‘आबोआग दिशोम आबोआग राज’ सच हो सके. ऐसी हम सभी लोगों की कामना है.’
आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने झारखंड के इतिहास के बारे में भी लिखा है. उन्होंने बिरसा मुंडा और सिदो मुर्मू के नेतृत्व में हुए उलगुलान (मुंडा विद्रोह) और हूल क्रांति (संताल विद्रोह) का भी जिक्र किया है. कहा है कि इन बलिदानियों के त्याग, संघर्ष, बलिदान के कारण अंग्रेजों को सीएनटी कानून – 1908 और एसपीटी कानून -1855 बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा था. यह कानून आज भी लागू है. आदिवासियों-मूलवासियों के लिए यह भूमि रक्षा कवच का काम करता है.
सालखन मुर्मू ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को वर्ष 2017 में दोनों कानूनों को बचाने में उनके योगदान की भी याद दिलायी है. आदिवासी सेंगेल अभियान के प्रमुख ने कहा है कि राज्यपाल के रूप में आपने दोनों कानूनों को बचाने में अहम भूमिका निभायी थी. साथ ही कहा है कि बिरसा मुंडा और सिदो मुर्मू के वंशजों की स्थिति ठीक नहीं है. उनको सम्मान मिलना चाहिए. सुरक्षा और न्याय के साथ-साथ उनकी समृद्धि के लिए भी पहल करने की जरूरत है. इसके लिए आप पहल करें और शहीदों के परिजनों को सम्मान दिलाने में मदद करें.
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यहां बताना प्रासंगिक होगा कि वर्ष 2017 में द्रौपदी मुर्मू झारखंड की राज्यपाल थीं. तत्कालीन सरकार ने सीएनटी और एसपीटी एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव किया था. विधानसभा से बिल पास भी हो गया था, लेकिन राजभवन ने इसके कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताते हुए बिल को वापस भेज दिया था. सालखन मुर्मू ने अब राष्ट्रपति बन चुकीं द्रौपदी मुर्मू को उसकी याद दिलायी है. उल्लेखनीय है कि 15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य अस्तित्व में आया था. स्थापना दिवस पर इस बार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि होंगे.