झारखंड के आदिवासियों और मूलवासियों में जो शैक्षणिक और बौद्धिक विकास हुआ है, उसमें मिशन संस्थानों की अहम भूमिका रही है. सुदूरवर्ती क्षेत्रों में, जहां मूलभूत सुविधाओं की कमी है, वहां मिशन संस्थाओं ने सकारात्मक कार्य कर मील का पत्थर स्थापित करने का काम किया है. उनका प्रयास रहा है कि सभी लोग मिलजुल कर इस राज्य को विकसित करने की ओर आगे बढ़ायें. सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में रहनेवाले चिह्नित गरीब-जरूरतमंद परिवारों को सरकार की योजनाओं से जोड़ने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है.
ये बातें सीएम हेमंत सोरेन ने मंगलवार को कहीं. वह इंटरनेशनल पेंटेकोस्टल होलीनेस चर्च की 100वीं वर्षगांठ पर सिरमटोली स्थित होटल मेपल वुड में उद्घाटन सत्र में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने आगे कहा कि चर्च पिछले 100 सालों से सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब, जरूरतमंद, पिछड़े-कमजोर और आदिवासी समाज के उत्थान के लिए कार्य कर रहा है. ऐसे वर्ग के लोगों को अपने पैरों पर खड़ा कर उन्हें बल देने का काम कर रहा है.
श्री सोरेन ने कहा कि देश की 42 प्रतिशत खनिज संपदा झारखंड से निकलती है. झारखंड की संपदा देश में रोशनी व देश की अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा बनी हुई है. राज्य सरकार द्वारा कोरोना संक्रमण काल में किये गये कार्य देशभर में उदाहरण बने. कोरोना संक्रमण से निकलते हुए आगे बढ़े, तो वैसे ही राज्य में सुखाड़ की चुनौती आ खड़ी हुई.
राज्य सरकार ने सुखाड़ जैसी चुनौती को भी संभाला. यहां के किसान परिवार के लोगों को रोजगार सृजन के लिए कई योजनाओं की सौगात भी दी गयी है. हमारी सरकार ने राज्य की परंपरा, संस्कृति और प्राकृतिक व्यवस्थाओं को मद्देनजर रखते हुए कार्ययोजना तैयार की है. इस अवसर पर बिशप माइकल जॉन, बिशप अनिल रेवन, बिशप पतरस टुडू, रेव्ह जेसन मड़की, रेव्ह आलोक कच्छप, अशोक मिश्रा,संजीव मसीह और सनातन सोरेन सहित देशभर से आये 400 से अधिक आइपीएचसी के प्रतिनिधि उपस्थित थे.