शराब के व्यापार की मौजूदा व्यवस्था से झारखंड को मुनाफा होता नहीं दिख रहा है. इससे लगातार आर्थिक नुकसान हो रहा है. जानकारी के अनुसार, वित्तीय वर्ष के छह माह बाद तक शराब की बिक्री के निर्धारित लक्ष्य का आधा राजस्व भी सरकारी खजाने में नहीं आया है. 31 अक्तूबर तक 1050 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं. वित्त विभाग ने वर्ष 2022-23 के लिए शराब से मिलनेवाले राजस्व का लक्ष्य 2500 करोड़ रुपये निर्धारित किया है.
उत्पाद विभाग ने अक्तूबर तक शराब की बिक्री से 1300 करोड़ रुपये की राजस्व वसूली का लक्ष्य तय किया था. केवल अक्तूबर में दुकानों से शराब की खुदरा बिक्री का लक्ष्य 440 करोड़ निर्धारित था, लेकिन इस महीने राज्य में 310 करोड़ रुपये की ही शराब बेची गयी. उत्पाद विभाग शराब से मिलनेवाले राजस्व के निर्धारित लक्ष्य से लगभग 250 करोड़ रुपये पीछे है.
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छह महीनों में शराब से राजस्व वसूली का लक्ष्य आधा भी नहीं हुआ पूरा
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11 जिलों में शराब की बिक्री लक्ष्य से 36% कम, उत्पाद आयुक्तों से जवाब-तलब
11 जिलों में शराब से मिलनेवाले राजस्व की स्थिति खराब है. रामगढ़, धनबाद, गढ़वा, लोहरदगा, सिमडेगा, पलामू, जामताड़ा, पाकुड़, गिरिडीह, सरायकेला-खरसावां और पश्चिमी सिंहभूम में शराब की बिक्री, लक्ष्य से लगभग 36 प्रतिशत कम दर्ज की गयी है. इससे राज्य को राजस्व की हानि उठानी पड़ रही है. खुदरा शराब दुकानों की बिक्री संतोषजनक नहीं होने से उक्त 11 जिलों के उत्पाद आयुक्तों से विभाग ने स्पष्टीकरण भी मांगा है. विभाग ने नवंबर में शराब बेच कर 470 करोड़ रुपये राजस्व अर्जित करने का लक्ष्य रखा है.
झारखंड में शराब का अवैध धंधा चल रहा है. उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल व पंजाब की शराब लाकर झारखंड में बेची जा रही है. इस वर्ष सितंबर तक विभिन्न जिलों से 42,216 लीटर अवैध विदेशी शराब जब्त की जा चुकी है. इससे चार गुना यानी 1.5 लाख लीटर अवैध विदेशी शराब राज्य में बेची गयी है. विदेशी के साथ राज्य में देशी शराब का अवैध धंधा भी तेजी से पनप रहा है. पाउच बंद कर शीशे की बोतल में शराब बेची जा रही है. इससे देशी शराब की कीमत में इजाफा हो गया है. इस कारण अवैध चुलाई और जावा-महुआ का व्यापार भी तेजी से बढ़ रहा है.
झारखंड में शराब की बिक्री कम हो रही है. इसी वजह से लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है. कारणों का पता लगाया जा रहा है. राजस्व लक्ष्य पूरा करने का प्रयास चल रहा है.
कमलेश्वर प्रसाद सिंह,
उत्पाद आयुक्त, झारखंड
झारखंड की शराब दुकानों में लोगों की मनपसंद ब्रांड की शराब व बीयर उपलब्ध नहीं है. शराब दुकानों पर चुनिंदा ब्रांड ही बेची जा रही है. दुकानों पर चुनिंदा ब्रांड होने का असर रेस्त्रां व बार पर भी पड़ रहा है. रेस्त्रां-बार को शराब की चिह्नित दुकानों से ही माल उपलब्ध कराया जाता है. रेस्त्रां-बार मालिकों पर उपलब्ध ब्रांड की ही शराब या बीयर का उठाव करने का दबाव बनाया जाता है. पसंदीदा ब्रांड नहीं मिलने पर उठाव में कमी करने वाले रेस्त्रां-बार पर उत्पाद विभाग ने लाखों रुपये का जुर्माना ठोक दिया है. राजधानी व आसपास के 46 रेस्त्रां व बार पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. उनको जल्द से जल्द राशि जमा करने का निर्देश दिया गया है.