12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड दौरे पर पहुंचे उमेश गोपीनाथ ने स्कूल बंद कर की 1.20 लाख किमी की यात्रा, ऐसे मिली प्रेरणा

किसी के अंदर देश सेवा की भावना और सेना के प्रति प्रेम होना एक जुनून है. सेना और वीर जवानों के प्रति मेरी भावना कुछ ऐसा ही है. शहर पहुंचे उमेश गोपीनाथ जाधव ने प्रभात खबर से बातचीत में यह बात कही.

किसी के अंदर देश सेवा की भावना और सेना के प्रति प्रेम होना एक जुनून है. सेना और वीर जवानों के प्रति मेरी भावना कुछ ऐसा ही है. शहर पहुंचे उमेश गोपीनाथ जाधव ने प्रभात खबर से बातचीत में यह बात कही. जाधव झारखंड दौरा में शहर पहुंचे हैं. उमेश गोपीनाथ की पहचान देश-दुनिया में सेना के जवानों के सच्चे प्रशंसक के रूप में है. गोपीनाथ अपनी गाड़ी से एक लाख 20 हजार किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं और 150 अमरदानी जवानों के घर पहुंचकर उनके परिवार से मिल चुके हैं.

यहां भी की यात्रा

उमेश गोपीनाथ जाधव पुलवामा हमले के अमरदानी के घर अलावे, पहले विश्व युद्ध, दूसरे विश्व युद्ध, कारगिल युद्ध, उरी हमले, पठानकोट हमले, ऑपरेशन रक्षक, गलवान झड़प और हाल में कुन्नूर हेलिकॉप्टर क्रैश के शहीदों के परिजनों से मिल चुके हैं.

म्यूजिक स्कूल खोला, जिसे एक क्षण में बंद कर दिया

मूल रूप से औरंगाबाद (सांभाजी नगर) महाराष्ट्र के रहने वाले गोपीनाथ परिवार के साथ वर्तमान में बेंगलुरु में रहते हैं. वह एक फार्मासिस्ट कॉलेज में प्रोफेसर थे. बाद में नौकरी छोड़ म्यूजिक स्कूल खोला. पुलवामा घटना के बाद स्कूल बंद कर निकल पड़े. शुरुआत में उन्हें अपने परिवार के विरोध का ही सामना करना पड़ा लेकिन बाद में उनके कार्य व उद्देश्य पर परिजन फर्क महसूस करने लगे. गोपीनाथ की पत्नी सुजाता जाधव क्लीनिकल रिसर्चर है. उनके दो बेटे हैं जो 13 और 11 वर्ष के हैं.

गैर राजनीति हो जवानों के प्रति सम्मान

गोपीनाथ ने कहा कि शुरुआती दिनों में उन्हें काफी परेशानी हुई. लेकिन यह अपना भारत देश यूं ही महान नहीं है. कई लोग मेरे जैसी सोच रखते हैं, लेकिन वह ऐसी पहल नहीं कर सकते हैं, ऐसे लोग मेरी यात्रा के मददगार बने. कई लोगों ने अलग-अलग रूप में मेरी मदद की. गोपीनाथ ने कहा कि सेना व जवानों के प्रति सम्मान गैर राजनीति होना चाहिए. वे भविष्य में जवानों व अपनी यात्रा को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री व फिल्म बनाने की इच्छा रखते हैं.

ऐसे मिली प्रेरणा

14 फरवरी 2019 में पुलवामा हमले में 40 सीआरपीएफ जवानों की शहादत ने गोपीनाथ को अंदर तक झकझोर दिया. उमेश जयपुर से बेंगलुरु लौट रहे थे जब उन्हें इस घटना का पता चला. इसके बाद उन्होंने कुछ ऐसा करने की सोचा ताकि जवानों को दी गयी उनकी श्रद्धांजलि सेना व जवानों के प्रति लोगों में अलग सम्मान का भाव जगा सके. उमेश ने तय किया कि पुलवामा के शहीदों के घर से मिट्टी लेकर वहां बन रहे स्मारक को देंगे. इसके बाद वह घर, परिवार व नौकरी त्याग कर निकल पड़े.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें