Bihar Crime News: कटिहार के बलरामपुर प्रखंड के तेलता ओपी क्षेत्र से कुछ दूरी पर स्थिति जिला पार्षद सह भाजपा नेता संजीव मिश्रा की हत्या सोमवार को अपराधियों ने ताबड़तोड़ गोली मारकर कर दी. संजीव मिश्रा ने मौके पर ही दम तोड़ दिया. हत्याकांड मामले में ग्रामीणों व समर्थकों ने जमकर बवाल काटा. वहीं पुलिस पर कई गंभीर आरोप भी लगाए. वहीं बिहार के डीजीपी तक यह मामला पहुंच गया. अबतक तीन संदिग्धों को हिरासत में लिये जाने की सूचना है.
संजीव मिश्रा बलरामपुर प्रखंड में भाजपा की रीढ़ के रूप में थे. सीमांचल के इन क्षेत्रों में पार्टी को मजबूती प्रदान करने की दिशा में उन्होंने कार्य किया. उनका कद इन क्षेत्र में काफी बढ़ा हुआ था. वे एमएलसी अशोक अग्रवाल के काफी करीबी भी थे. विधान पार्षद की चुनाव के दौरान प्रचार प्रसार से लौटने के क्रम में अज्ञात अपराधियों ने इन्हें गोली मार दी थी. जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हुए थे. जिसके पश्चात उन्हें इलाज के लिए पूर्णिया मैक्स में भरती कराया गया था, जिस कारण उनकी जान बच पायी थी. जिस बाबत स्थानीय थाना में उसके बयान पर अपराधियों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी थी.
उक्त घटना के बाद पुलिस ने इनकी सुरक्षा को लेकर इन्हें अंगरक्षक मुहैया कराया. लेकिन सितंबर माह में बॉडीगार्ड की समय सीमा पूरा हो जाने के बाद अंगरक्षक को वापस पुलिस लाइन बुला लिया गया. स्थानीय लोगों व भाजपा नेता की माने तो अगर अंगरक्षक जिला पुलिस प्रशासन ने वापस नहीं ली होती तो संभवत: संजीव की हत्या नहीं हुई होती.
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हमले की घटना के बाद संजीव मिश्रा को दो माह के लिए ही बॉडीगार्ड दी गयी थी. प्रतिनियुक्त समय सीमा समाप्त होने पर पुन: बॉडीगार्ड के लिए आवेदन नहीं मिला था, सितंबर तक की ही समय था. लोगों का आरोप है कि जिला पुलिस प्रशासन ने उससे बॉडीगार्ड को वापस ले लिया. जिस कारण उनकी हत्या अपराधियों ने कर दी.
इस संदर्भ में एसपी जितेंद्र कुमार ने बताया कि अपने स्तर से वह दो माह तक ही अंगरक्षक उपलब्ध करा सकते है. अंगरक्षक धारक को बॉडीगार्ड की समय सीमा बढ़ानी है तो इसके लिए उन्हें आवेदन देना पड़ता है. सितंबर माह में ही संजीव मिश्रा के अंगरक्षक की समय सीमा समाप्त हो गयी थी. जिसके बाद उनकी ओर से किसी प्रकार का आवेदन प्राप्त भी नही हुआ. जिस कारण उन्हें अंगरक्षक मुहैया नही कराया जा सका.
Posted By: Thakur Shaktilochan