गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो चली है. इस क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा दिया गया नारा वायरल हो रहा है जिसकी चर्चा हो रही है. दरअसल रविवार को अपने गृह राज्य गुजरात में पहली चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ‘आ गुजरात, में बनव्यु छे’ (मैंने यह गुजरात बनाया है). उनके इस नारे के बाद नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के बारे में जानना जरूरी है. यहां चर्चा कर दें कि 2001 से 2014 तक नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी सेवा दे चुके हैं और प्रदेश को नये मुकाम तक ले गये.
यदि आपको याद हो तो गुजरात के कच्छ क्षेत्र में 2001 में विनाशकारी भूकंप ने प्रदेश पर प्रभाव डाला था. इसके बाद मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने अपने बहुआयामी दृष्टिकोण का प्रयोग किया और कुछ सालों के अंदर ही कच्छ को प्रगति के पथ पर लाने का प्रयास किया जिसमें वे सफल भी रहे. इसके साथ ही नरेंद्र मोदी ने गुजरात में वित्तीय और तकनीकी पार्कों की स्थापना करने का काम किया. उन्होंने निवेश आमंत्रित करने के लिए वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन की शुरूआत की जिसका लाभ प्रदेश को हुआ. ये कुछ कारक हैं जिस आधार पर कहा जाता है कि गुजरात की छवि बदलने में नरेंद्र मोदी की अहम भूमिका रही है. उन्होंने राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी जिस वजह से ही उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की ओर से पीएम पद का उम्मीदवार बनाया गया.
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गुजरात पीएम मोदी के कार्यकाल के दौरान आगे बढ़ता गया जिसे ‘मोदी का गुजरात मॉडल’ की संज्ञा भी दी गयी. भारतीय राज्यों में ‘व्यापार की आसानी’ रैंकिंग में गुजरात सबसे ऊपर था. यदि आपको याद हो तो नरेंद्र मोदी का ‘गुजरात मॉडल’ 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा के चुनाव अभियान का मुख्य हिस्सा रहा है. प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के पदभार संभालने के बाद भी, गुजरात में उनकी लोकप्रियता कभी कम नहीं हुई. यही वजह रही कि जब भी वे गुजरात दौरे पर रहते हैं तो उनको देखने हजारों लोग पहुंचते हैं. रविवार की रैली में भी ये देखने को मिला.
यहां चर्चा कर दें कि कांग्रेस के साथ कांटे की टक्कर के बाद भी भाजपा ने 2017 का विधानसभा चुनाव जीता था. साल 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पहले की तुलना में अच्छा प्रदर्शन किया था जिससे पार्टी को बल मिला था. गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को 77 जबकि भारतीय जनता पार्टी यानी भाजपा को 99 सीटों पर जीत मिली थी.