Kanpur News: भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद अजय मिश्रा से जुड़ा एक और मामला सामने आया है. अजय मिश्रा प्रोफेसर विनय कुमार पाठक के आने से पहले ही छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) में प्रवेश पा चुका था. वह पूर्व कुलपति नीलिमा गुप्ता के समय पर आ गया था.
यहां तक कि प्रो. विनय कुमार पाठक के अलावा अजय अन्य लोगों का भी खास बन गया था. पूर्व कुलपति नीलिमा गुप्ता ने भी अपने कार्यकाल में परीक्षा सम्बन्धित कार्य के लिए तत्कालीन एजेंसी को हटाकर अजय मिश्रा की एजेंसी को टेंडर सौंपा था.
प्रोफेसर विनय कुमार पाठक और उनके खास अजय मिश्रा को लेकर एसटीएफ आगरा विश्वविद्यालय व सीएसजेएमयू में लगातार पूछताछ कर रही है. सीएसजेएमयू के अधिकारी बताते हैं कि पहले कॉपियों में कोडिंग और परीक्षा से सम्बंधित कार्य डेविड की कंपनी डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज किया करती थी.
साल 2018 में प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कुलपति का पद जॉइन किया और 2019 की वार्षिक परीक्षा से पहले डेविड की एजेंसी को हटाकर अजय की कंपनी एक्सएएलआईसीटी को कार्य सौंपा था. तब से सभी कार्य अजय की कंपनी करते हुए आ रही है.
एसटीएफ की पूछताछ में सामने आया कि अजय जैन की फर्म रजिस्टर्ड थी. लेकिन, उन्होंने भ्रष्टाचार के रुपयों का लेन-देन अपनी कम्पनी के जरिये फर्जी तरीके से दिखाया. अजय मिश्रा ने कबूला है कि विनय पाठक के कमीशन के रुपयों को मैनेज करने के लिये ही उन्होंने कई फर्जी बिल व ई-वे बिल बनाये थे.
इस मामले में अजय जैन को साजिश रचने का आरोपित बनाया गया है, जिसे राजस्थान के अलवर से गिरफ्तार कर लिया गया है और उसे इंद्रानगर थाने पुलिस को सुपुर्द कर दिया गया.