रांची: रांची के बुंडू में 1457 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री गलत दस्तावेज के आधार पर कर दी गयी थी. रातोंरात इस जमीन की रजिस्ट्री की गयी थी. जमीन की रजिस्ट्री को लेकर वनपाल ने भी आपत्ति जतायी थी. वनपाल का कहना था कि करीब 300 एकड़ जमीन वन भूमि की है. इसका विरोध ग्रामीण भी करते रहे. विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी हाल में वन भूमि की जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो सकती. लेकिन, फिर भी ऐसा हुआ. यह बड़ा घोटाला है. फिलहाल जांच के बाद यह मामला राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के पास है.
वर्ष 2018 में ही जमीन की रजिस्ट्री कर दी गयी थी. तब यह बात सामने आयी कि रातोंरात रजिस्ट्री की गयी है, ताकि किसी को पता नहीं चले. सारे दस्तावेज छिपा रह जाये. बाद में तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी ने इस मामले में खरीदार को पक्ष रखने के लिए बुलाया था. इसमें रैयतों ने कहा था कि उनसे दस्तावेज में हस्ताक्षर कराया गया और इसके एवज में ड्राफ्ट दिया गया.
तब रैयतों ने बताया कि 1457 एकड़ जमीन में से करीब 700 एकड़ जमीन के दस्तावेज सही थे. रैयतों के नाम भी पंजी टू में दर्ज थे. रसीद भी उनके नाम से निर्गत हो रही थी. बाद में यह बात सामने आयी कि 400 एकड़ जमीन गैर मजरुआ और 300 एकड़ जमीन वन भूमि है. जमीन बेचने के लिए की गयी बड़ी गड़बड़ियां जमीन बेचने के लिये कई गड़बड़ियां की गयी थी. अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत की भी बात सामने आयी थी.
यह बताया गया कि 1457 एकड़ जमीन का नया दस्तावेज बनाया गया और कुर्सीनामा बना कर दूसरी जमाबंदी खोल दी गयी. इतना ही नहीं, इलाकेदार पंजी भी बनायी गयी. उसी के आधार पर पंजी टू में ऑनलाइन तरीके से नाम चढ़ा दिया गया. गैरमजरुआ आम, गैरमजरुआ खास और वन भूमि की जमीन को रैयती जमीन बताया गया. फिर 17 लोगों द्वारा जमीन की बिक्री करा दी गयी. पूरी जमीन की दो बार रजिस्ट्री हुई. दो डीड बनाये गये.
तब इसकी जांच कर रहे अफसरों को पता चला कि शाकंभरी बिल्डर्स और कोशी कंसल्टेंट के नाम पर इस जमीन की रजिस्ट्री की गयी थी. जब खरीदारों से पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि उनके पास सभी दस्तावेज हैं. खेवटदार उपलब्ध दस्तावेज के आधार पर अपना दावा बता रहे थे. खरीदार द्वारा अपनी कई बातें रख गयी.
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कुल 1457 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री रातोंरात होने की बात सामने आयी थी, इसमें से 300 एकड़ वन भूमि की थी
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एसआइटी ने भी विभाग को दे दी है रिपोर्ट, विभाग को करनी है कार्रवाई
गलत तरीके से जमीन बेचने के मामले में एसआइटी ने भी जांच की थी. इसके बाद रिपोर्ट भू-राजस्व विभाग को सौंप दी थी. विभाग रिपोर्ट की समीक्षा कर रहा है. जल्द ही इस पर फैसला होगा. फिलहाल विभाग ने कई सवाल उठाये हैं. रिपोर्ट में कहा गया था कि अगर किसी के नाम पर खाता और जमाबंदी भी चल रही है, तो दूसरी बार खाता और जमाबंदी क्यों खोली गयी. एसआइटी में प्रमंडलीय आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी और भू सुधार निदेशक उमाशंकर सिंह शामिल थे.