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Jharkhand News: सरावगी बंधु का खेल, 15000 वेतन पानेवाले कर्मी की पत्नी के नाम खरीदा एक करोड़ का फ्लैट

मनी लाउंड्रिंग में फंसे सरावगी बंधुओं ने 15 हजार रुपये कमानेवाले अपने कर्मचारी की पत्नी को एक करोड़ रुपये के फ्लैट का कागजी मालिक बनाया था. बाद में इस फ्लैट को वापस ले लिया.

मनी लाउंड्रिंग में फंसे सरावगी बंधुओं ने 15 हजार रुपये कमानेवाले अपने कर्मचारी की पत्नी को एक करोड़ रुपये के फ्लैट का कागजी मालिक बनाया था. बाद में इस फ्लैट को वापस ले लिया. प्रवर्तन निदेशालय (इडी) द्वारा की गयी जांच में इसकी जानकारी मिली है. जांच में पाया गया कि विकास खेतावत सरावगी बंधुओं के यहां काम करता था. उसे 15-20 हजार रुपये वेतन मिलता था. उसके पास सरावगी बंधुओं के बैंक से जुड़े काम काज की जिम्मेदारी थी.

सरावगी बंधुओं ने सुनियोजित साजिश के तहत मेसर्स ग्लोबल ट्रेडर्स नामक कंपनी बनायी. इस कंपनी में अपने कर्मचारी को निदेशक बनाया. इसके बाद इस कंपनी से नाम से 8.90 करोड़ रुपये का कर्ज लिया. जांच में पाया गया कि सरावगी बंधुओं ने मेसर्स ग्लोबल ट्रेडर्स के नाम पर लिये गये कर्ज को फर्जी व्यापार दिखा कर विभिन्न कंपनियों के माध्यम से सरावगी बिल्डर्स के खाते में ट्रांसफर किया.

सरावगी बंधुओं ने लालपुर स्थित अपने निर्माणाधीन ‘एसजे एक्जोटिका’ में विकास खेतावत की पत्नी कविता खेतावत के नाम पर एक फ्लैट खरीदने का दस्तावेज तैयार किया. जांच के दौरान कविता खेतावत ने भी उक्त तथ्य को स्वीकार किया था. बाद में उक्त फ्लैट को बेच दिया गया. इडी ने जांच में पाया कि मनी लाउंड्रिंग को अंजाम देने के लिए सरावगी बंधुओं से अपने कर्मचारी के नाम पर फ्लैट की खरीद-बिक्री की थी.

70 करोड़ रुपये आंकी गयी थी प्रोजेक्ट की लागत :

लालपुर स्थित इस प्रोजेक्ट के निर्माण की लागत बैंक से कर्ज लेते समय 70 करोड़ रुपये आंकी गयी थी. यह प्रोजेक्ट सरावगी बंधुओं की कंपनी मेसर्स सरावगी बिल्डर्स के माध्यम से शुरू किया गया था. प्रोजेक्ट के लिए जमीन के मालिक गौतम मोदी और सुभाष मोदी के साथ वर्ष 2013 में एकरारनामा किया गया था. इसके तहत प्रोजेक्ट के लिए सरावगी बंधुओं ने जमीन मालिकों को जमानत के तौर पर पांच करोड़ रुपये दिये थे.

इस जमीन पर 25 मंजिला और 15 मंजिला दो टावर बनाये जाने थे. प्रोजेक्ट में सरावगी बंधुओं को 56 प्रतिशत हिस्सा (44 फ्लैट) मिलना था. सरावगी बंधुओं ने अपने हिस्से में से 19 फ्लैट बेच दिये थे. बाद में आर्थिक कमी के कारण प्रोजेक्ट बीच में ही बंद हो गया. मई 2018 में सरावगी बंधुओं और मोदी के बीच एक नया एकरारनामा हुआ. इसके तहत प्रोजेक्ट का काम सभी देनदारियों के साथ मोदी बंधुओं को हस्तांतरित हो गया. साथ ही सरावगी बंधुओं द्वारा दी गयी जमानत राशि मोदी बंधुओं द्वारा जब्त कर ली गयी. इडी ने इस पांच करोड़ रुपये की राशि को मनी लाउंड्रिंग का हिस्सा माना.

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