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संसद में अखिलेश यादव के कुनबे के थे 5 सांसद, अब गढ़ बचाने की चुनौती, जानें मैनपुरी का सियासी गणित

निर्वाचन आयोग ने सिर्फ 25 दिन बाद ही मैनपुरी लोकसभा सीट के साथ ही पांच सीट पर उपचुनाव का ऐलान कर दिया. मगर मुलायम के जाने के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव के सामने मुलायम का गढ़ बचाने की चुनौती है. पूर्व CM मुलायम सिंह यादव के देहांत से देश का सबसे बड़ा सियासी कुनबा लोकसभा से शून्य हो गया है.

Mainpuri Bypoll News: समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्‍थापक पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का पिछले महीने 10 अक्‍टूबर को गुड़गांव के मेदांता अस्‍पताल में देहांत हो गया था. उनके देहांत के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट खाली हो गई. निर्वाचन आयोग ने सिर्फ 25 दिन बाद ही शुक्रवार को मैनपुरी लोकसभा सीट के साथ ही पांच सीट पर उपचुनाव का ऐलान कर दिया. मगर मुलायम के जाने के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव के सामने मुलायम का गढ़ बचाने की चुनौती है. पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के देहांत से देश का सबसे बड़ा सियासी कुनबा लोकसभा से शून्य हो गया है.

लोकसभा में परिवार का एक भी सदस्य नहीं

दरअसल, किसी समय लोकसभा में मुलायम परिवार के 5 सदस्य हुआ करते थे लेकिन अब उनके देहांत के बाद लोकसभा में परिवार का एक भी सदस्य नहीं बचा है. हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ लोकसभा से अखिलेश यादव भी चुने गए थे. मगर उन्होंने विधानसभा चुनाव 2022 के बाद लोकसभा से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद उपचुनाव में आजमगढ़ सीट भी भाजपा के पास चली गई. 2019 लोकसभा चुनाव में बदायूं लोकसभा से धर्मेंद्र यादव, फिरोजाबाद लोकसभा सीट से अक्षय यादव और पुत्रवधू डिंपल यादव कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव हार गई थीं जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में इन सभी 5 लोकसभा सीट पर अखिलेश यादव के कुनबे का कब्जा था. उस वक्त अखिलेश यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे.

सपा का 1989 से मैनपुरी सीट पर कब्जा

मुलायम सिंह यादव के गृह गांव सैफई से मैनपुरी काफी करीब है. उनकी विधानसभा जसवंतनगर भी मैनपुरी लोकसभा में आती है. मुलायम सिंह यादव के पहली बार सीएम बनने के बाद मैनपुरी पर उनका ही कब्जा था. 1989 लोकसभा चुनाव उदय प्रताप सिंह को सांसद बनवाया था. वह 1991 में सांसद बने. मगर 1996 में मुलायम सिंह यादव ने चुनाव लड़ा. सपा के टिकट पर 1998 और 1999 में बलराम सिंह यादव सांसद बने. इस दौरान मुलायम सिंह यादव संभल सीट से सांसद चुने गए थे. 2004 में फिर मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से चुने गए. उन्होंने यूपी का सीएम बनने के बाद इस्तीफा दे दिया. इसके बाद उपचुनाव में 2004 में धर्मेंद्र यादव चुने गए. 2009 और 2014 में फिर मुलायम सिंह यादव सांसद बने. मगर आजमगढ़ और मैनपुरी से सांसद चुनने के बाद मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी से इस्तीफा देने के बाद तेजप्रताप यादव को उपचुनाव लड़ाया. वह चुनाव जीतकर सांसद बने थे लेकिन 2019 में फिर मुलायम सिंह यादव सांसद बन गए.

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अखिलेश का कन्नौज से सियासत में आगाज

लोकसभा चुनाव 1999 में मुलायम सिंह यादव कन्नौज लोकसभा सीट से चुने गए थे. दो जगह से सांसद होने के कारण कन्नौज सीट से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद अखिलेश यादव को पहली बार वर्ष 2000 में कन्नौज लोकसभा सीट उपचुनाव लड़ाया गया. वह सांसद बने.2004 लोकसभा के आम चुनाव में वह दूसरी बार लोकसभा के लिए चुने गए. सांसद के रूप में हैट्रिक लगाते हुए 2009 में हुए आम चुनाव में उन्होंने एक बार फिर जीत दर्ज की. साल 2012 में वह मुख्यमंत्री बने. उन्होंने इस सीट पर लोकसभा उपचुनाव में पत्नी डिंपल यादव को चुनाव लड़ाकर सांसद बनवाया. 2019 में उन्होंने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए आजमगढ़ से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की.

उपचुनाव का कार्यक्रम

चुनाव आयोग के मुताबिक, उपचुनाव के लिए अधिसूचना 10 नवंबर को जारी होगी. नामांकन की आखिरी तारीख 17 नवंबर है. नाम वापस लेने की अंतिम तारीख 21 नवंबर है. पांच दिसंबर को मतदान होगा. मतों की गिनती आठ दिसंबर को होगी. इसी दिन हिमाचल और गुजरात चुनाव के नतीजे भी घोषित किए जाएंगे. 2019 लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव के खिलाफ भाजपा ने प्रेम सिंह शाक्य को मैदान में उतारा था. इस चुनाव में मुलायम को 5.24 लाख वोट मिले थे जबकि शाक्य के खाते में 4.30 लाख वोट गए थे.

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रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद

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