धरती पर जीवन के एकमात्र शक्ति श्रोत प्रत्यक्ष देव सूर्य हर मौसम में अपना अलग प्रभाव डालते हैं. सूरज तो वही एक सा ही है, अटल है, अडिग है, पर उसकी किरणें यानी धूप पृथ्वी से बदलती दूरी अनुसार साल भर विभिन्न रूपों में हम तक पहुंचती हैं. एक ओर गर्मियों में जहां वे असहनीय हो जाती हैं, तो बरसात में हम तरसते हुए इंतजार करते हैं कि कब बादलों से लुकाछिपी खत्म हो और धूप का दर्शन हो. वहीं सर्दियों में अपने देश में प्रचुर नरम-गरम किरणों का साम्राज्य होता है.
कुछ दशक पहले तक जब बहुमंजिली इमारतों ने पांव नहीं पसारे थे, घर की छतें व आंगन महफूज थे. जाड़े की दुपहरिया में इन्हीं छतों-आंगनों में जिंदगी गुलजार रहती थी. बच्चों की मालिश होती, बुजुर्गों की कसरत, महिलाओं की मंडली स्वेटर बुनती या अचार, पापड़, बडियां बनाते दिखतीं. मूंगफली कुतरते बच्चे दौड़ते-खेलते दिखते. कुकुरमुत्ते से उग आये बहुमंजिली इमारतों ने लोगों की आवासीय समस्या को भले हल कर दिया, पर कीमत काफी महंगा वसूला. एसी ने तापमान अवश्य सेट कर दिया, पर सहज-सुलभ धूप को महंगा कर दिया, दुर्लभ बना दिया.
गांवों में, कस्बों में अवश्य अब भी वो खुली छतें हैं, जहां आज भी जाड़े की गुनगुनी धूप सेंकने का सुख लोगों को मिलता है, पर शहरों-महानगरों में फ्लैट में सिमटी जिंदगियां जाड़ों में कांपते दांतों को किटकिटाते गर्म कपड़ों से लदेफदे गुजारने को मजूर हैं. यही कारण है कि आज ज्यादातर शहरी विटामिन-डी की कमी, जोड़ों के दर्द व कमजोर हड्डियों से परेशान हैं. जो प्रकृति ने हमें मुफ्त उपलब्ध कराया है धूप के रूप में, वह हम कैप्सूल खा कर पूरा कर रहे हैं. जाड़े के मौसम में बढ़ते अवसाद के मामले भी इसी धूप की कमी से देखने को मिलते हैं. सर्दी-खांसी आदि मौसमी बीमारियों का इलाज भी यही चमत्कारिक धूप है.
जब धूप के रूप में ज्ञान की किरणें मन में प्रवेश पाती हैं, तो सारा अज्ञान अंधकार दूर हो जाता है. आप हमेशा सकारात्मक और खुद को ऊर्जा से भरपूर महसूस करते हैं. धूप का यह सुनहरा अहसास जीवन में लाने के लिए आवश्यक है कि हम अपने विचारों व अवचेतन मन के झरोखों को हमेशा खुला रखें.
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सूर्य की रोशनी ठंड से सिकुड़े शरीर को गर्माहट देती है, जिससे शरीर के भीतर की ठंडक और पित्त की कमी दूर होती है. आयुर्वेद में सनबाथ को ‘आतप सेवन’ नाम से जाना जाता है. विदेशों में सनबाथ बेहद प्रचलित है, खास कर ठंडी, लंबी रातों वाले देशों में.
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विटामिन डी का एकमात्र प्राकृतिक स्रोत सूरज की रोशनी ही है. विटामिन डी शरीर की हड्डियों को मजबूत करती है. शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है.
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धूप लेने के बाद शरीर में एनर्जी आती है, जिससे हमारी कार्यक्षमता में वृद्धि होती है.
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नींद न आने की समस्या होने पर प्रतिदिन कुछ देर धूप में बैठना लाभदायक होता है.
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हमें अच्छा महसूस कराने वाले हॉर्मोन सेरेटॉनिन और एंडोर्फिन का धूप के असर से शरीर में पर्याप्त स्राव होता है, जो कि डिप्रेशन, सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर, साइकॉलजिकल-इमोशनल हेल्थ और बॉडी क्लॉक-रिद्म के संतुलन में बेहद फायदेमंद है.
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जो लोग ज्यादा वक्त पानी वाले काम करते हैं, उनके पैरों की उंगलियों और तलवों पर होने वाले फंगल इंफेक्शन को ठीक करने के लिए धूप लेना काफी फायदेमंद है. नमी के कारण होने वाले कीटाणुओं के संक्रमण को रोकने में धूप कारगर होती है.
रिपोर्ट : रीता गुप्ता
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.