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सुलतानगंज से कहलगांव तक डॉल्फिन की संख्या में हुई गजब की बढ़ोतरी, पर्यावरण के लिए माना जा रहा शुभ संकेत

Bihar news: डॉल्फिन के प्रजनन में वृद्धि को पर्यावरण के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है. इस अभयारण्य में वर्ष 2022 के पहले डॉल्फिन की संख्या 188 थी, जो बढ़ कर 208 हो गयी है.

ललित किशोर मिश्र, भागलपुर: सुलतानगंज से कहलगांव तक गांगेय डॉल्फिन अभयारण्य स्थली घोषित है. पूरे देश में यह पहली अभयारण्य स्थली है, जहां डॉल्फिन गंगा की लहरों के बीच देखी जाती है. इस अभयारण्य में वर्ष 2022 के पहले डॉल्फिन की संख्या 188 थी, जो बढ़ कर 208 हो गयी है.

अहम बातें 

  • सुलतानगंज से कहलगांव तक डॉल्फिन की संख्या 188 से बढ़ कर 208 हुई

  • डॉल्फिन अभयारण्य : वर्ष 2022 में गंगा में काफी संख्या में दिखे डॉल्फिन के बच्चे

  • जनवरी से जून तक सुलतानगंज से कहलगांव अभयारण्य स्थली में किया गया था सर्वे

जनवरी से जून 2022 में वाइल्ड लाइफ कंजरवेशन ट्रस्ट की टीम ने गांगेय डॉल्फिन की संख्या को लेकर सर्वे किया था. यह पहला मौका है कि इतनी तेजी से डॉल्फिन की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2014 के बाद 2022 में नदी की लहरों के बीच गांगेय डॉल्फिन के छोटे-छोटे बच्चे अधिक संख्या में देखे गये. डॉल्फिन के प्रजनन में वृद्धि को पर्यावरण के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है. वर्ष 2018 में गांगेय डॉल्फिन की संख्या 171 थी.

सुरक्षा बढ़ी, तो डॉल्फिन भी बढ़ी

  • डॉल्फिन की सुरक्षा को लेकर वन विभाग की टीम जब्त कर चुकी है तीन हजार किलो जाल

  • गंगा प्रहरी की तैनाती की गयी और प्रहरियों ने धार व तटों पर बढ़ायी पेट्रोलिंग

  • गंगा में सुरक्षा प्रहरी की संख्या 24 है. चार-चार की टीम करती है निगरानी

  • बाढ़ के समय गंगा में डॉल्फिन को देखते हैं लोग

गंगा की लहरों पर अठखेलियां करती नजर आती है डॉल्फिन

बाढ़ के समय गंगा की लहरों पर डॉल्फिन अठखेलियां करती नजर आती है. बाढ़ के समय यह काफी संख्या में दिखायी देती हैं. माणिक सरकार घाट व अन्य घाटों से बड़े और बच्चे बाढ़ के समय गांगेय डॉल्फिन को देखते हैं. शाम में यहां लोगों की काफी भीड़ रहती है.

अभयारण्य प्रक्षेत्र में वर्ष 2022 के पहले गांगेय डॉल्फिन की संख्या 188 थी, जो बढ़ कर अब 208 हो गयी है. यह सर्वे वाइल्ड लाइफ कंजरवेशन ट्रस्ट की टीम ने किया है. डॉल्फिन के प्रजनन में वृद्धि पर्यावरण के लिए शुभ संकेत है- डॉ. संजीत कुमार, पशु चिकित्सा पदाधिकारी, भागलपुर वन प्रमंडल

सुलतानगंज से कहलगांव तक डॉल्फिन के लिए सबसे सुरक्षित जगह है. इसकी सुरक्षा के लिए विभाग चौकस है. सर्वे से खुलासा हुआ है कि गांगेय डॉल्फिन की संख्या में काफी वृद्धि हो रही है. इसकी सुरक्षा को ले कई तरह की योजनाएं चलायी जा रही हैं- भरत चिंतापल्ली, डीएफओ, वन प्रमंडल भागलपुर

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