अमृतसर : पंजाब के अमृतसर में शिवसेना के नेता सुधीर सोनी की गोली मारकर हत्या कर दी गई है. वारदात के समय शिवसेना नेता सुधीर सोनी अमृतसर के गोपाल मंदिर पर धरना दे रहे थे. समाचार एजेंसियों और टीवी चैनलों की रिपोर्ट के अनुसार, अमृतसर के गोपाल मंदिर के पास अभी हाल के दिनों में कचरे से भगवान की मूर्ति बरामद हुई थी, जिसके विरोध में शुक्रवार को शिवसेना नेता सुधीर सोनी और अन्य हिंदूवादी संगठनों के नेता धरना-प्रदर्शन कर रहे थे. अभी तक किसी संगठन ने सुधीर सूरी की हत्या की जिम्मेदारी नहीं ली है.
मीडिया की रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि गोपाल मंदिर के बाहर हिंदू संगठनों के नेताओं की ओर से धरना-प्रदर्शन किए जाने की वजह से धरनास्थल पर स्थानीय निवासियों की काफी भीड़ जमा हो गई थी. इसी का फायदा उठाकर किसी व्यक्ति ने भीड़ के बीच से ही मंदिर के बाहर अन्य हिंदूवादी संगठनों के नेताओं के साथ धरने पर बैठे शिवसेना के नेता सुधीर सूरी पर गोलियां चलानी शुरू कर दी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई.
मीडिया की रिपोर्ट में यह भी बताया जा रहा है कि कुछ दिन पहले ही अमृतसर में हिंदूवादी और अन्य धर्मों के अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं को जान से मारने की धमकी दी गई थी. रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि इन नेताओं को कनाडा और दूसरे देशों में बैठे आतंकवादी संगठनों की ओर से इस प्रकार की धमकियां दी जा रही थीं. हालांकि, रिपोर्ट में इस बात का खुलासा नहीं किया गया कि आखिर किस आतंकवादी संगठन की ओर से अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं को जान से मारने की धमकी दी गई. इसी दौरान सुधीर सूरी को भी जान से मारने की धमकी दी गई थी.
मीडिया की रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि कनाडा और दूसरे देशों में बैठे आतंकवादी संगठनों की ओर से पंजाब और अमृतसर के अल्पसंख्यक समुदाय के हिंदू और अन्य धर्मों के नेताओं की धमकी वाली शिकायत पर पुलिस ने आतंकवादी संगठनों के साथ ताल्लुक रखने वाले अपराधियों के धर-पकड़ के लिए अभियान भी चलाया था. इस अभियान के दौरान पुलिस ने बड़ी संख्या में अपराधियों को गिरफ्तार करने के साथ ही भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किए थे.
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अब जबकि अमृतसर में शुक्रवार को शिवसेना नेता सुधीर सूरी की सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई है, तो पुलिस एक बार फिर हरकत में आ गई है और वारदात में शामिल बदमाशों की तलाश तेज कर दी गई है. मीडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि शिवसेना नेता को गोली मारने वाले शख्स की अभी तक पहचान नहीं की जा सकी है और वह पुलिस की पकड़ से भी बाहर है. सबसे बड़ा सवाल यह भी खड़ा किया जा रहा है कि गोपाल मंदिर के बाहर हिंदूवादी संगठनों के नेताओं के द्वारा धरना-प्रदर्शन के दौरान जब बड़ी संख्या में भीड़ जुटी थी, तो उसी भीड़ में से किसी ने सुधीर सूरी पर हमला करने के बाद फरार कैसे हो गया? क्या वहां पर पुलिस के जवानों को तैनात नहीं किया गया था या फिर भीड़ में से किसी ने उस बदमाश को पकड़ने की कोशिश नहीं की?