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देवघर भूमि घोटाला: सुनील खवाड़े, ध्रुव व राम समेत 71 के खिलाफ ED ने दर्ज की प्राथमिकी, ऐसे हुआ था खुलासा

प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने देवघर भूमि घोटाले के सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज की है. इसमें सुनील खवाड़े सहित 71 लोगों को अभियुक्त बनाया गया है, जिनके खिलाफ सीबीआइ द्वारा आरोप पत्र दायर किया जा चुका है.

देवघर: प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने देवघर भूमि घोटाले के सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज की है. इसमें सुनील खवाड़े सहित 71 लोगों को अभियुक्त बनाया गया है, जिनके खिलाफ सीबीआइ द्वारा आरोप पत्र दायर किया जा चुका है. इडी भूमि घोटाले के इस मामले में आरोपियों के खिलाफ मनी लाउंड्रिंग के मामले की जांच करेगा. इसमें 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा के मनी लाउंड्रिंग का आरोप लगाया गया है. प्राथमिकी दर्ज करने के बाद इडी ने देवघर के सब-रजिस्ट्रार को पत्र लिख कर घोटाले की अवधि ( वर्ष 2001 से वर्ष 2011) में हुई जमीन की खरीद-बिक्री से संबंधित दस्तावेज मांगे हैं.

सीबीआइ की दोनों प्राथमिकी को इडी ने मनी लाउंड्रिंग की जांच में किया शामिल :

इडी ने देवघर घोटाले में सीबीआइ द्वारा दर्ज दोनों प्राथमिकी (आरसी-15ए/2012 और आरसी-16ए/2012) को मनी लाउंड्रिंग की जांच के लिए दर्ज कर लिया है. प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि दस्तावेज में जालसाजी कर देवघर में करीब 826 एकड़ प्रतिबंधित जमीन की खरीद-बिक्री की गयी.

प्राथमिकी में जिले के तत्कालीन अनुमंडल अधिकारी रामनारायण राम, जिला भूअर्जन पदाधिकारी भोगेंद्र ठाकुर, ध्रुवनारायण परिहस्त, देवनारायण परिहस्त, सीओ सिद्धार्थ शंकर चौधरी, अभिलेखागार पदाधिकारी मिथिलेश कुमार झा सहित अन्य लोगों के नाम शामिल है. इन लोगों पर सुनियोजित साजिश के तहत जमीन माफिया से मिल कर गलत तरीके से जमीन की खरीद-बिक्री करने और इससे हुई काली कमाई को जायज करार देने के लिए मनी लाउंड्रिंग का सहारा लेने का आरोप लगाया गया है.

फर्जी दस्तावेज तैयार किये गये :

जमीन माफिया ने अधिकारियों के साथ मिल कर सरकारी जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार किये. अफसरों के सहयोग से फर्जी दस्तावेज की सर्टिफाइड कॉपी ली गयी. इसके आधार पर सरकारी व अन्य जमीन पर मालिकाना हक का दावा किया गया और जमीन की खरीद-बिक्री की गयी. बाद में कुछ सरकारी दस्तावेजों को जला दिया गया.

तत्कालीन जिला प्रशासन ने जमीन की नाजायज खरीद-बिक्री की शिकायत के आधार पर कुछ मामलों की जांच करायी थी. इसके बाद निगरानी जांच का आदेश दिया गया था. बाद में राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए सीबीआइ से अनुरोध किया. सरकार के अनुरोध पर सीबीआइ ने जून 2012 में भूमि घोटाले के सिलसिले में दो प्राथमिकी दर्ज की थी. जांच के बाद सीबीआइ की ओर से इस मामले में तीन आरोप पत्र दायर किये जा चुके हैं.

सीबीआइ, धनबाद की चार्जशीट में हैं 71 लोगों के नाम

देवघर भूमि घोटाले में सीबीआइ धनबाद ने जो चार्जशीट दायर किया था, उसमें अधिकारी व सरकारी कर्मचारी सहित 71 लोगों के नाम शामिल हैं. सीबीआइ ने पूर्व एसडीओ राम नारायण राम, देवघर के पूर्व सीओ सिद्धार्थ शंकर चौधरी, पूर्व अभिलेखागार प्रभारी मिथिलेश झा, पूर्व भूमि सुधार उपसमाहर्ता भोगेंद्र ठाकुर, मोहनपुर के तत्कालीन सीओ वीरेंद्र कुमार राय,

अधिकारी नवीन किशोर सुवर्णा, आरके मधेशिया, ध्रुव नारायण परिहस्त, देवनारायण परिहस्त, महेश्वरी देवी, सुनील खवाड़े, कन्हैया झा, राजेश कुमार श्रृंगारी सहित 71 लोगों को अभियुक्त बनाया है. सीबीआइ ने चार्जशीट में इतने बड़े जमीन घोटाले का सूत्रधार ध्रुव नारायण परिहस्त और उसके पिता देव नारायण परिहस्त को करार दिया था.

सितंबर 2011 में पूर्व डीसी मस्तराम मीणा ने पकड़ा था जमीन घोटाला

देवघर में झारखंड के सबसे बड़े भूमि घोटाले का खुलासा सितंबर 2011 में पूर्व डीसी मस्तराम मीणा ने किया था. विभिन्न स्रोतों से मिली शिकायत के आधार पर श्री मीणा ने जमीन घोटाले की शिकायतों की जांच के लिए कमेटी बनायी. कमेटी को जांच में बड़ा मामला मिला. तकरीबन एक हजार करोड़ के भूमि घोटाले का भंडाफोड़ हुआ. इस घोटाले में सरकारी कर्मियों की मिलीभगत से भू-माफियाओं ने 2000 से 2011 के बीच 826 एकड़ सरकारी और निजी भू-खंड बेच दिये थे.

19 जून 2012 को सीबीआइ ने केस किया था टेक ओवर :

जून 2012 में भूमि घोटाले की जांच पहले निगरानी ने संभाली. निगरानी ने जांच में पाया कि यह बड़ा स्कैम है. इसलिए इसकी सीबीआइ जांच होनी चाहिए. छह दिसंबर 2011 को पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा ने सबसे बड़े जमीन घोटाले की सीबीआइ जांच की अनुशंसा की. 19 जून 2012 को देवघर जमीन घोटाले में सीबीआइ ने दो प्राथमिकी क्रमश: आरसी 15/12(डी) में 26 व केस नंबर 16ए/12(डी) में कुल 38 लोगों को आरोपी बनाया था. इसमें अभिलेखागार में छेड़छाड़ कर फरजी तरीके से जमीन बेचने और अभिलेखागार से कागजात चुराकर जलाने के मामले में सीबीआइ ने ये दोनों मामले दर्ज किये.

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