छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित तृतीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बतौर मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत किये. इस मौके पर उन्होंने कहा कि आज तक आदिवासी, दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक अपने हक-अधिकार को लेकर लड़ रहा है. सभी वंचित समूहों को साथ लिए बगैर अगर हम सर्वांगीण विकास की बात करेंगे, तो वह बेईमानी होगी. खुशी है कि आज मुझे छत्तीसगढ़ में आदिवासी नृत्य महोत्सव में आने का अवसर मिला.
सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि विगत 20 वर्षों में एक बार भी पूर्व की सरकारों ने झारखंड की आदिवासी संस्कृति और सभ्यता को सम्मान नहीं दिया. हमने विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर बारिश के बीच दो दिन का झारखंड आदिवासी महोत्सव मनाया. इसमें कई कलाकार और विद्वानों ने भाग लिया. अगले साल इसे और भव्य मनाया जायेगा.
उन्होंने कहा कि विविधता में एकता हमारे देश की पहचान है. हर धर्म, मजहब और जाति के लोग यहां दशकों से आपसी एकजुटता और मजबूती के साथ रहते आये हैं और पूरी दुनिया इसका लोहा मानती है. अगर हम अपने देश को विकसित राष्ट्र के रूप में देखना चाहते हैं, तो इसके लिए जरूरी है कि सभी वर्गों, समूह और तबके का समुचित और समेकित विकास हो. कहा कि झारखंड, बिहार, ओड़िशा, छत्तीसगढ़ और बंगाल समेत देश के कई हिस्सों में आदिवासियों, दलितों और पिछड़े वर्ग की कई समस्याओं का समाधान देश के आजाद होने के 75 सालों के बाद भी नहीं हो सका है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार इनकी समस्याओं का समाधान करने के साथ इनके आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करने का प्रयास कर रही है. झारखंड और छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के लिए विशेष समारोह का आयोजन इसी कड़ी का हिस्सा है.
झारखंड के मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समुदाय सदियों से अहम भूमिका निभाता आ रहा है. यह एक ऐसा वर्ग है जो सदियों से संघर्षरत रहा है. आज हमारी और छत्तीसगढ़ की सरकार इस समुदाय को आगे बढ़ाने की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है.
उन्होंने कहा कि झारखंड और छत्तीसगढ़ भाई -भाई हैं. दोनों ही राज्यों में कई समानताएं हैं. दोनों ही राज्यों में आदिवासियों की एक बड़ी आबादी निवास करती है. अगर आप इन दोनों राज्यों के कुछ हिस्सों में चले जाएं, तो आपको पता ही नहीं चलेगा कि कौन छत्तीसगढ़ का क्षेत्र है और कौन झारखंड का. यही विशेषता दोनों राज्य को एक-दूसरे के बेहद करीब लाती है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड की लगभग 28-30 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की है, लेकिन अलग राज्य बनने के बाद कभी भी आदिवासियों के लिए कोई विशेष कार्यक्रम आयोजित नहीं किए गए. हमारी सरकार ने पहली बार इस वर्ष विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किया. इसमें बतौर मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शामिल हुए थे. हमने यह आयोजन आपके राज्य में हुए राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव से प्रेरित होकर किया, ताकि आदिवासियों की पहचान को पूरी मजबूती के साथ देश दुनिया के सामने दिखा सके.