पहला सेतु पांडुलिपि पुरस्कार-2022 सुपरिचित कथाकार नीलाक्षी सिंह की पांडुलिपि ‘हुकूम देश का इक्का खोटा’ को दिये जाने की घोषणा की गयी है. यह निर्णय वरिष्ठ कथाकार ममता कालिया की अध्यक्षता में गठित एक चयन समिति ने लिया है. इस चयन समिति के अन्य सदस्य हैं प्रख्यात कवि मदन कश्यप, प्रख्यात कथाकार एवं ‘तद्भव’ पत्रिका के संपादक अखिलेश और सेतु प्रकाशन की प्रबंधक अमिता पांडेय.
निर्णायक मंडल के पास पुरस्कार के लिए 73 पांडुलिपियां आयीं थीं जिनमें से नीलाक्षी सिंह की पांडुलिपि का चयन सर्वसम्मति से किया. पृरस्कृत पांडुलिपि के बारे में निर्णायक मंडल की अध्यक्ष ममता कालिया ने कहा, अक्सर हम भावुकता में अपनी तकलीफ को बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं. कम-से-कम बोलकर अपनी पीड़ा का इजहार करना यह इस पुस्तक की विशेषता है, जो अक्सर नीलाक्षी सिंह की अन्य रचनाओं में भी नजर आता है. तकलीफ में छप-छप नहाना और तकलीफ के बारे में निरपेक्ष होकर लिखना दोनों बहुत अलग-अलग बातें हैं. यह अनोखा गद्य है जो आत्म-संस्मरण होकर भी आत्म नहीं है.
चयन समिति के सदस्य अखिलेश ने ‘हुकूम देश का इक्का खोटा’ के बारे में कहा कि यह अनोखी रचना है; न तो रचना और न ही रचनाकार को आपसे किसी करुणा या सहानुभूति की अपेक्षा है बल्कि वो आपको साथ-साथ ले चलती हैं और आपको लगता है कि यह आपका ही जीवन है. अपने दुख, तकलीफ को इतने कलात्मक अंदाज में दूसरों तक पहुंचाने वाली रचनाएं हिंदी में विरल हैं.
वरिष्ठ कवि मदन कश्यप ने नीलाक्षी सिंह को एक संवेदनशील लेखिका बताते हुए पुरस्कृत पांडुलिपि के बारे में कहा कि एक बहुत ही तकलीफदेह विषय को उकेरने वाली यह एक अलग तरह की और श्रेष्ठ कृति है.
अमिता पांडेय ने कहा कि जब रचना में व्यक्त पीड़ा दूसरों को भी महसूस होने लगे तो वही रचना की सार्थकता होती है. नीलाक्षी सिंह की कृति इस कसौटी पर खरी उतरती है. उन्होंने यह भी कहा कि सेतु पांडुलिपि पुरस्कार के लिए जितनी तादाद में पांडुलिपियां आयीं उससे हमारा उत्साहवर्धन हुआ है.
निर्णायक मंडल ने पुरस्कृत पांडुलिपि के साथ ही 3 और पांडुलिपियों की संस्तुति की है जो इस प्रकार हैं- 1. आधुनिकता और भारतीय समाज : ओमप्रकाश कश्यप, 2. कठपुतलियां : अंजू शर्मा, 3. सिनेमा सप्तक : अनिरुद्ध शर्मा. निर्णायक मंडल की बैठक का समापन सेतु प्रकाशन की प्रबंधक अमिता पांडेय द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ.
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