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भागलपुर के शाहकुंड में दो वर्ष पूर्व मिली रहस्यमयी प्रतिमा की हुई पहचान, जानें किसकी है ये मूर्ति

प्रतिमा की पहचान को लेकर आये कई तथ्यों व विमर्श के बाद इसके लकुलिस की प्रतिमा होने का खुलासा जर्नल ऑफ बंगाल आर्ट में प्रकाशित शोध-आलेख में किया गया है. यह शोध-आलेख पुरातत्वविद डॉ जलज कुमार तिवारी ने लिखा है. शैववाद के इतिहास में लकुलिस का एक प्रमुख स्थान है और उन्हें शिव का अंतिम अवतार माना जाता है.

संजीव, भागलपुर. शाहकुंड प्रखंड क्षेत्र में वर्ष 2020 में मिली अद्भुत कलाकृति वाली ऐतिहासिक प्रतिमा लकुलिस की है. प्रतिमा की पहचान को लेकर आये कई तथ्यों व विमर्श के बाद इसके लकुलिस की प्रतिमा होने का खुलासा जर्नल ऑफ बंगाल आर्ट में प्रकाशित शोध-आलेख में किया गया है. यह शोध-आलेख पुरातत्वविद डॉ जलज कुमार तिवारी ने लिखा है. शैववाद के इतिहास में लकुलिस का एक प्रमुख स्थान है और उन्हें शिव का अंतिम अवतार माना जाता है. प्राचीन मगध (आधुनिक गया, कैमूर और रोहतास जिले) और प्राचीन अंग क्षेत्र का उत्तरी भाग (आधुनिक भागलपुर) लकुलिस-पशुपत संप्रदाय के केंद्र थे और लकुलिस की पूजा में भी बिहार के यह क्षेत्र प्रचलित थे.

देश में यहां मिल चुकी हैं लकुलिस की प्रतिमाएं

लकुलिस की प्रतिमा पूरे भारत में विशेष रूप से गुजरात, राजस्थान, दक्षिण भारत, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और ओड़िशा में मिली हैं. इसके अलावा बिहार के भी कुछ क्षेत्रों में लकुलिस की प्रतिमाएं अलग-अलग कलाकृति की मिली हैं.

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भागलपुर के शाहकुंड में दो वर्ष पूर्व मिली रहस्यमयी प्रतिमा की हुई पहचान, जानें किसकी है ये मूर्ति 2
लकुलिस पूजा की थी काफी लोकप्रियता

बिहार से गुप्त से लेकर पाल काल तक के देवता की केवल कुछ छवियों की सूचना मिली है. पांचवीं-छठी से 12वीं शताब्दी ईशा पूर्व के दौरान बिहार में लकुलिस की पूजा को काफी लोकप्रियता मिली. बिहार में शैववाद के पाशुपत संप्रदाय के अध्ययन और विकास पर भी ये प्रतिमाएं प्रकाश डालती हैं. लकुलिस को पाशुपत संप्रदाय का संस्थापक माना जाता है. उन्हें विभिन्न पुराणों में शिव के 28वें और अंतिम अवतार के रूप में भी माना जाता है. लकुलिस का उल्लेख वायु पुराण, लिंग पुराण में भी किया गया है. आलेख में डेक्कन कॉलेज लाइब्रेरी में संरक्षित एक पांडुलिपि में लकुलिस के बारे लिखी बातों का भी उल्लेख किया गया है.

डॉ जलज का परिचय

भागलपुर संग्रहालय के अध्यक्ष डॉ शिव कुमार मिश्र ने बताया कि डॉ जलज कुमार तिवारी का लकुलिस की प्रतिमा पर शोध-आलेख का प्रकाशन खुशी की बात है. डॉ जलज वैशाली संग्रहालय के सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद हैं. वे मध्य प्रदेश के रहनेवाले हैं और बिहार की मूर्तियों पर उन्होंने काफी शोध किया है.

नाली निर्माण के दौरान शाहकुंड में मिली थी प्रतिमा

11.12.2020 को भागलपुर जिले के शाहकुंड में नाली निर्माण के लिए मिट्टी काटने के दौरान लकुलिस (आकार 200 गुना 50 गुना 26 सेमी) की एक प्रतिमा मिली थी. वर्तमान में भागलपुर संग्रहालय में रखा गया है. यह ऊंचे आयताकार साधारण आसन पर विराजमान हैं. दाहिने हाथ में एक बीजापुरक है, जो आंशिक रूप से टूटा हुआ है और बायां हाथ कलाई से गायब है. कंठ हारा, कुंडला और कंगना से अलंकृत हैं. इसे बिहार में लकुलिसा की सर्वोच्च छवि मानी जा सकती है. यह बलुआ पत्थर से बना है और शैलीगत आधार पर इसे 5वीं-6वीं शताब्दी सीइ के लिए दिनांकित किया जा सकता है.

बिहार में यहां से मिली हैं लकुलिस की प्रतिमाएं

बिहार में कैमूर जिले के मुंडेश्वरी, गया के पाली, उतरेन पाली व कोंच, भागलपुर के शाहकुंड व अंतीचक. लगभग छह साल पहले कैमूर में चार सशस्त्र लकुलिस की प्रतिमा मिली थी. बोधगया से एक पत्थर के लिंटेल में प्रतिमा मिली थी. रोहतास जिले में तिलौथु के पास तलहटी में लकुलिसा की एक छोटी और टूटी हुई मूर्ति मिली थी.

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