जमशेदपुर: 43 वर्षों तक टाटा स्टील में अपनी सेवा देने वाले डॉ जेजे ईरानी ने लौहनगरी को काफी करीब से देखा. उन्होंने शहर को सजाया-संवारा. डॉ ईरानी 1968 में जमशेदपुर आये थे. प्रभात को दिये आखिरी इंटरव्यू में डॉ ईरानी ने कहा था – जमशेदपुर में अंतिम सांस लेना चाहता हूं, नियति ने उनकी इच्छा को पूरा किया और सोमवार की रात लौहनगरी में ही उन्होंने अंतिम सांस ली और चिर निद्रा में लीन हो गये.
प्रभात खबर के 26वें स्थापना दिवस समारोह का हिस्सा बने डॉ जेजे ईरानी ने अखबार और पत्रकारिता पर बेबाकी से राय रखी थी. उन्होंने कहा था कि बाधाओं, चुनौतियों और लगातार मिल रही प्रतिस्पर्धा के दौर में भी अखबार ने न सिर्फ खुद को साबित किया बल्कि पत्रकारिता के मूल्यों को भी बचाये रखा है. प्रभात खबर को दिये अपने अंतिम इंटरव्यू में डॉ ईरानी ने कहा था कि शहर को उन्होंने छोटे-छोटे कदम के साथ आगे बढ़ते देखा है.
तीन मिलियन टन से 19 मिलियन के उत्पादन के सफर तक टाटा ने शहर की स्थापना के सिद्धांत व मूल्यों को कायम रखा है. बड़े शहरों के साथ दुनिया को करीब से देखा. मुंबई में रहने का ऑफर मिला लेकिन दिल नहीं लगा और जमशेदपुर आ गया. डॉ ईरानी के जेहन में शहर के विकास का प्लान, स्वास्थ्य, शिक्षा, खेल-कूद और नागरिक सुविधाओं को लेकर हमेशा चिंता बनी रही. वह शहर के बच्चों के बेहतर तालीम, देश व दुनिया के अच्छे कॉलेज व यूनिवर्सिटी में उनकी पढ़ाई के हिमायती थे.
वह कहते थे कि रिटायरमेंट के बाद दूसरों को मौका मिलना चाहिए. जीवन को भरपूर जीना चाहिए मैं उसे शौक से पूरा कर रहा. राजनीति में आने के सवाल पर उन्होंने कहा था कि इस क्षेत्र में अधिक भ्रष्ट लोग आ गये हैं, उनके बीच मैं खुद को एडजस्ट नहीं कर पाता.