प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य और छठी मैया की विशेष पूजा से जुड़ा यह पावन पर्व बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड समेत देश के अन्य हिस्से में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है. यह तस्वीर पटना के गंगा नदी की है. अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने से पहले महिलाओं ने आज गंगा स्नान किया.
सनातन परंपरा में भगवान सूर्य और छठी माता के लिए रखे जाने वाले व्रत को बड़े नियम और संयम के साथ रखा जाता है. मान्यता है जो व्यक्ति इस व्रत को विधि-विधान से रखता है, उसकी सभी मनोकामना छठी मैया जरूर पूरा करती हैं. छठ व्रत में सौभाग्य और आरोग्य का वरदान देने वाले सूर्यदेव को डूबते और उगते समय विशेष रूप से अर्घ्य देने का विधान है.
छठ व्रती महिलाएं नाक से मांग तक खास सिंदूर लगाती हैं. मान्यता है कि लंबा सिंदूर पति के लिए शुभ होता है और यह परिवार में सुख-संपन्नता का भी प्रतीक है. माना जाता है कि सिंदूर जितना लंबा होगा, पति की आयु भी उतनी ही लंबी होगी.
लोक आस्था का महापर्व छठ प्रकृति से जुड़ने का एक उत्सव है. यह सिसकती संस्कृति और मिटते नदियों और तालाबों के लिए भी एक आस है. छठ व्रती सांस्कृतिक अतिक्रमण और नदियों पर कब्जे की नियत से नहीं उमड़ते हैं. यहां लोग प्रदूषण फैलाने नहीं, बल्कि नदियों की सफाई और सनातन संस्कृति के चेतना जागरणार्थ आते हैं.