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Report: वाहन कंपनियों के प्रबंधन स्तर के अधिकारियों की अनुपालन की समझ काफी खराब

नियामकीय प्रौद्योगिकी समाधान कंपनी टीमलीज रेगटेक की रिपोर्ट 'वाहन उद्योग के लिए अनुपालन प्रबंधन का सरलीकरण' में कहा गया है कि विनिर्माण इकाइयों के स्थान, विशिष्ट उपकरणों और अंतिम उत्पादों के उपयोग के आधार पर उनके लिए लागू अनुपालन बदलते रहते हैं.

भारतीय वाहन कंपनियों के महत्वपूर्ण प्रबंधन स्तर के अधिकारियों की अनुपालन प्रतिबद्धताओं को लेकर समझ काफी खराब है. टीमलीज रेगटेक की एक रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कारोबार के आकार के हिसाब से इस तरह के सैकड़ों कानून और हजारों नियम ऐसे हैं जिनके बारे में प्रबंधन स्तर के अधिकारियों को कम जानकारी है.

भारत में एक ही राज्य में काम करने वाली एक छोटी वाहन विनिर्माण कंपनी एक साल में कम से कम 900 एकबारगी और जारी अनुपालनों पर काम करना होता है. जैसे-जैसे कंपनी का भौगोलिक विस्तार होता है, अनुपालनों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है. नियामकीय प्रौद्योगिकी समाधान कंपनी टीमलीज रेगटेक की रिपोर्ट ‘वाहन उद्योग के लिए अनुपालन प्रबंधन का सरलीकरण’ में कहा गया है कि विनिर्माण इकाइयों के स्थान, विशिष्ट उपकरणों और अंतिम उत्पादों के उपयोग के आधार पर उनके लिए लागू अनुपालन बदलते रहते हैं.

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भारत में ज्यादातर संगठनों के लिए इन अनुपालनों की निगरानी कर पाना चुनौतीपूर्ण होता है. रिपोर्ट में एक सर्वेक्षण के हवाले से कहा गया है, यह तथ्य सामने आया है कि भारतीय वाहन कंपनियों में प्रमुख प्रबंधन कर्मियों को 80 प्रतिशत से अधिक मामलों में अनुपालन दायित्वों की खराब समझ है. ऐसी स्थिति में वे कारण बताओ नोटिस, वित्तीय जुर्माना और दंड, लाइसेंस रद्द होने और अनुमति वापस लिए जाने से संबंधित मामलों में काफी हैरान होते हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि महत्वपूर्ण अनुपालनों की स्थिति, तारीखों, दस्तावेजीकरण और गैर-अनुपालन के जोखिम पर ये अधिकारी अच्छी स्थिति में नहीं हैं यानी उनको इसकी जानकारी नहीं है. यह सर्वेक्षण अप्रैल और मई, 2022 के दौरान किया गया. सर्वे में 95 प्रतिशत अधिकारियों ने कहा कि पिछले 12 माह के दौरान वे महत्वपूर्ण अनुपालन के मोर्चे पर कम से कम एक बार चूके हैं. वहीं 92 प्रतिशत ने कहा कि इस अवधि में उन्होंने जुर्माना अदा किया है. 97 प्रतिशत का कहना था कि उनका अपने संगठन के अनुपालन कार्यक्रम पर अच्छा नियंत्रण नहीं है. इस सर्वे में 34 वाहन कंपनियों के प्रबंधन स्तर के अधिकारियों की राय ली गई.

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