आस्था का महापर्व छठ, छठ के गीतों के बिना अधूरा है. यही वजह है कि हर साल की तरह इस साल भी पारंपरिक से लेकर नए छठ गीत श्रोताओं को खूब लुभा रहे हैं. इन छठ गीतों के बीच चम्पारण टॉकीज और बेजोड़ चैनल ने इस बार भी अपने छठ गीत 2022 से सशक्त और सुरीली उपस्थिति दर्शायी है. छठ 2022 गीत के निर्माता,निर्देशक नितिन नीरा चंद्रा के साथ उर्मिला कोरी की हुई खास बातचीत…
दो तीन चीज़ें हैं,जिस पर हमने विशेष तौर पर फोकस किया है. परिवार के महत्व को हमारा छठ वीडियो एक बार फिर रख रहा है. इसके साथ साथ यह प्रकृति को आभार जताने के साथ साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था की भी बात को रख रहा है. दीवाली और दहशरा जैसे त्यौहार ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े नहीं है,लेकिन ये पर्व जुड़ा हुआ है. टोकरी,गन्ना से लेकर कई सारी चीज़ें गाँव है. जो बहुत खास है.
पटना में हमने कुछ शॉट्स लिए हैं,लेकिन अधिकतर शूटिंग इस बार मुम्बई में ही हुई है. पटना जाने का मतलब बजट दुगुना.एक दिन के प्रोफेशनल कैमरे का किराया 40 हज़ार होता है. पूरे बिहार झारखंड में ऐसा एक भी कैमेरा नहीं है,जिससे आप फ़िल्म बना सके.यहां से बुक करो तो तीन लोग कैमरा के साथ जाते हैं,तो उसका भी खर्च रहता है.
मेरी पहली फ़िल्म देशवा के लिए सुनिधि चौहान ने ही गाया था.वे नीतू को जानती हैं तो आसान रहा.उनके साथ फिर से जुड़ना.रिकॉर्डिंग के दौरान उन्होंने कहा भी 10 साल बाद फिर साथ में काम कर रहे हैं. वो बहुत ही प्रोफेशनल है और उन्होंने बहुत कॉपरेट भी किया. उन्होंने गाने को अपने सोशल मीडिया एकाउंट में शेयर भी किया था.सुनिधि को कितने लोगों दुआएं मिली है.वीडियो के कमेंट सेक्शन में जाइएगा तो देखिएगा सबलोग बहुत अच्छा-अच्छा लिख रहे हैं. छठ के इस गीत के गीतकार डॉक्टर सागर हैं,जबकि संगीतकार निखिल कामथ है.सबने मिलकर बढ़िया काम किया है.
हां, वो एक छठ व्रती की तरह फील करना चाहती थी कि. वैसे इससे पहले मेरे किसी भी आर्टिस्ट ने ऐसा शूटिंग के वक़्त नहीं किया था. मेरे हिसाब से ये होना भी नहीं चाहिए ,क्योंकि शूटिंग बहुत हेक्टिक होता है और मेरा तो और हेक्टिक होता है, क्योंकि हमारा बजट कम होता है ,तो दो दिन का काम एक दिन में होता है.ऐसे में सिर्फ फ्रूट्स खाकर शूटिंग करना आसान नहीं होता है.
बहुत से लोग ऐसे भी हैं,जिन्होंने छठ पूजा को चैनल के सब्सक्राइबर बढ़ाने का एक जरिया बना लिया है. जहां तक प्रतिस्पर्धा की बात है,तो छठ है तो कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है. मैं सिर्फ छठ के विडियोज नहीं बनाता हूँ.साल भर कुछ ना कुछ बनाता रहता हूं.बिहार की भाषाओं में अच्छा काम ही मेरी ये कोशिश है.कई लोग लिखते हैं कि सर उनका वीडियो आपसे बेहतर है.फिर कुछ लोग ये भी कहते हैं कि आप कितने भी विडियोज बना लो लेकिन शारदा सिन्हा वाली बात नहीं है.
नया जेनेरेशन अगर छठ करेगा खासकर हमारे बाद वाला,तो वो नहीं सुनेगा.विध्यवासिनी देवी को कौन सुन रहा है.शारदा सिन्हा उनकी जगह पर आयी ना. शारदा सिन्हा उस वक़्त आयी, जब रिकॉर्डिंग आराम से बिकने लगी थी. नए सिंगर्स आएंगे और वो अपना मार्क बनाएंगे. परिवर्तन नियम है आपको इसे स्वीकार करना पड़ेगा.
युवाओं के बीच छठ कम होने का एक कारण ये भी है कि लोग इसे बहुत टफ मानते हैं.मुझे लगता है कि थोड़ा नियम बदले.जमीन पर सोना है.ये ज़रूरी नहीं है. मुझे लगता है कि भाव में पवित्रता की ज़रूरत है और कोई बात अहम नहीं है.अगर आपका स्वास्थ्य की परेशानी है तो केला और दूध खाकर भी आप ये व्रत कर सकते हैं.संस्कृति को बहता हुआ जल बनाइए.गड्ढे में जमा हुआ पानी नहीं.कई त्योहार में बदलाव देखने को मिला है पहले होली में कितने गाढ़े और गहरे रंग लगाए जाते थे.अब समय के साथ वो भी बदला है.मैंने अपने पहले छठ गीत वाले वीडियो पहली पहली बार में दिखाया था कि महिला लेटी है ,तो उसका पति उसका सर सहला रहा है. उस वीडियो को देख काफी लोगों ने कहा था कि छठ व्रत करने वाले बेड पर नहीं सोते हैं.उनको कोई छू नहीं सकता है. सेकेंड पार्ट में वाइफ प्रेग्नेंट है,तो छठ नहीं कर पा रही तो मैंने पति को छठ करते हुए दिखाया है. मैंने मौजूदा छठ वीडियो में भी दिखाया है कि पति पत्नी दोनों छठ कर रहे हैं. मैं अपने छठ वीडियोज में नए प्रयोग करता रहता हूं.