एक्सएलआरआइ जमशेदपुर दुनिया की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन अमेरिका के साथ मिलकर झारखंड के आदिवासियों की आजीविका को बढ़ायेगा. एक्सएलआरआइ झारखंड के ग्रामीण, आदिवासी और मूलवासी क्षेत्रों की आजीविका (लाइवलीहुड) का अध्ययन करेगा. लोगों की आजीविका कैसे बढे, किस तरह उनको और प्रकृति के नजदीक लाया जा सकता है और उनका संरक्षण हो सकता है, इस पर अध्ययन होगा.
इस संबंध में नीति आयोग व झारखंड सरकार के साथ भी बातचीत हो चुकी है. अंतिम स्तर पर एक समझौता होने के बाद काम शुरू कर दिया जायेगा. आदिवासी अब भी जंगलों पर निर्भर है. उनकी आजीविका क्या है. आजीविका में कोई कमी तो नहीं है. पर्यावरण पर इसका क्या असर पड़ने वाला है. उनकी आजीविका से किस तरह समाज और दुनिया को जोड़ा जा सकता है, इस पर अध्ययन होगा.
बुधवार को एक्सएलआरआइ आये नीति आयोग के वाइस चेयरमैन सुमन बेरी ने भी इसकी पुष्टि की. प्रभात खबर से बातचीत करते हुए बताया कि एक्सएलआरआइ जैसी संस्था का झारखंड के विकास में सहयोग लिया जायेगा. इसको लेकर हर स्तर पर वार्ता हो चुकी है. इससे झारखंड का विकास होगा. बहुत जल्द कई नयी योजनाओं से संस्था को जोड़ा जायेगा.
एक्सएलआरआइ के स्ट्रैटेजिक मैनेजमेंट और फादर अरुपे सेंटर के चेयरपर्सन डॉ टाटा एल रघुराम ने इसकी पुष्टि की और बताया कि इसको लेकर बातचीत हुई है. हम लोग चाहते है कि झारखंड के लोगों की आजीविका को बढ़ाया जाये. इसको लेकर वार्ता हो चुकी है. जल्द एमओयू होगा, उसके बाद काम शुरू किया जायेगा.