Chhath Puja 2022: लोक आस्था का महापर्व छठ आज शुक्रवार से नहाय खाय के साथ हो गयी है. अमूमन आपने इस पावन त्योहार को महिला व्रतियों के द्वारा करते देखा होगा. इस वजह से इसे महिलाओं के द्वारा किया जाने वाला व्रत भी माना जाता है. लेकिन बिहार के बांका में एक ऐसा गांव है जहां केवल पुरुष ही छठ व्रत करते हैं.
जिस गांव में केवल पुरुषों के द्वारा भगवान भास्कर और छठी मैया की आराधना की जाती है. वह बांका जिले के कटोरिया प्रखंड स्थित पिपराडीह गांव है. अमूमन महिलाओं के द्वारा निष्ठा पूर्वक इस त्योहार को पिपराडीह गांव में विधि-विधान के साथ केवल पुरुषों के द्वारा किया जाता है. पंचायत की आबादी लगभग 5000 है. जबकि गांव की आबादी लगभग 1000 है. गांव के लगभग प्रत्येक घर में पुरुष ही छठ व्रत करते हैं. ग्रामीणों के कहना है कि इसके बारे में उन्हें ज्यादा मालूम नहीं है. लेकिन वे केवल अपने पूर्वजों के परंपराओं का ही पालन करते आ रहे हैं.
पिपराडीह गांव में एक भी महिला व्रती छठ व्रत नहीं करतीं हैं. जिन्हें किसी विशेष मन्नत से व्रत करना भी होता है. वे किसी अन्य गांव में जाकर मन्नत उतारती है. इस गांव में केवल पुरुषों के द्वारा छठ करने की पंरपरा चली आ रही है. ग्रामीणों का कहना है कि यहां पुरुषों के द्वारा छठ व्रत किये जाने से उनका गांव धन-धान्य से सालों भर भरा रहता है. इसके उनकी हर मनोकामना भी पूरी होती है.
इस गांव में व्रत भले ही पुरुष करते हैं. लेकिन इस महाव्रत को पूरा करने में महिलाएं भरपूर सहयोग करती हैं. जैसे की नहाय खाय और खरना का प्रसाद महिलाओं के द्वारा ही तैयार किया जाता है. छठ का सूप से लेकर दौरा तक महिलायें सजाती है. गांव की महिलाये बताती है, उनको यह देखकर खुशी होती है कि गांव के लगभग हर घर के पुरुष पूरे विधि-विधान से छठ व्रत करते हैं.
गौरतलब है कि छठ महाव्रत अब केवल बिहार नहीं बल्कि इस पावन त्योहार का फैलाव देश-विदेशों में भी हो गया है. जहां बिहार के लोग जाकर बस गए हैं. मान्यता है कि ब्रह्मा की मानसपुत्री को षष्ठी देवी कहा जाता है. षष्ठी देवी को ही छठी मैया के नाम से जाना जाता है और उनकी पूजा की जाती है. धर्म के जानकार बताते हैं कि षष्ठी देवी को शिशुओं की देवी माना जाता है. ये देवी नि:संतानों को संतान देती हैं और सभी बालकों की रक्षा करती हैं.