झारखंड के राजस्वकर्मियों की हड़ताल का असर विद्यार्थियों के आय, जाति और आवासीय प्रमाण पत्र पर व्यापक तौर पर पड़ा है. राज्यभर में 15 दिनों में ही 5,75312 नये आवेदन आये हैं. यानी इतने आवेदन और पेंडिंग हो गये हैं. 10 अक्तूबर को जहां पेंडिंग आवेदनों की संख्या 22,39,209 थी. 25 अक्तूबर को यह संख्या बढ़ कर 28,14,521 हो गयी है. इस तरह हर दिन 38 हजार से अधिक आवेदन आ रहे हैं. विद्यार्थी नौकरियों के लिए अपना सर्टिफिकेट बनवाने को लेकर परेशान हैं.
वे आवेदन कर रहे हैं, पर राजस्व उप निरीक्षकों की हड़ताल के कारण उस पर कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है. जमीन के दाखिल-खारिज (म्यूटेशन) के पेंडिंग आवेदन भी बढ़ते जा रहे हैं. दाखिल-खारिज के 10 अक्तूबर तक 77564 आवेदन पेंडिंग थे, जो अभी बढ़ कर 86029 हो गये हैं. हालांकि म्यूटेशन के लिए आवेदन करने की संख्या में गिरावट आयी है. म्यूटेशन नहीं होता देख लोग आवेदन ही नहीं कर रहे हैं.
10 अक्तूबर को 618 लोगों ने आवेदन किया था, जबकि 25 अक्तूबर को मात्र 192 लोगों ने आवेदन किया है. इधर, हड़ताल का असर जमीन की रजिस्ट्री पर भी पड़ रहा है. अंचल कार्यालयों से मूल खतियान की सत्यापित कॉपी नहीं मिल रही है. इस वजह से बड़ी संख्या में जमीन की रजिस्ट्री भी प्रभावित हो रही है. लोग अपनी जमीन नहीं बेच पा रहे हैं.
खास कर शहरी इलाकों की जमीन की खतियान उपलब्ध नहीं होने या फटे होने पर अंचल कार्यालयों से सत्यापित कॉपी नहीं मिल रही है. ऐसे में लोगों को 15 दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है. प्रावधान है कि 15 दिनों में सीओ रिपोर्ट नहीं देंगे, तो स्वत: रजिस्ट्री हो जायेगी, पर इसमें भी संकट हो रहा है.
41 दिनों से हड़ताल
15 दिनों में सर्टिफिकेट के 5.75 लाख नये आवेदन आये, दाखिल-खारिज के भी 8465 नये आवेदन
नहीं मिल रही खतियान की सत्यापित कॉपी, जमीन रजिस्ट्री सहित कई काम प्रभावित
राजस्वकर्मी क्यों हैं हड़ताल पर राज्य में 41 दिनों से चल रही राजस्व उप निरीक्षकों की हड़ताल मुख्य रूप से ग्रेड पे बढ़ाने के मुद्दे पर अटकी हुई है. उनका कहना है कि सारी मांगों पर पूर्व की सरकार के समय में समझौता हो गया था, पर उसे लागू नहीं किया गया. राजस्व उप निरीक्षकों का ग्रेड पे बढ़ा कर 2400 करने की मांग की जा रही है. इसके अलावा राजस्व प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने और सीआइ के पद पर सीधी बहाली रोक कर 50 प्रतिशत पदों पर सीमित प्रतियोगिता परीक्षा से प्रोन्नति देने की मांग भी की जा रही है.