Mallikarjun Kharge: कांग्रेस को 24 साल बाद गैर-गांधी परिवार का अध्यक्ष मिला है. कई सियासी उलटफेर के बाद चुनाव में मल्लिकार्जुन खरगे जीतकर आए है. आज यानि बुधवार को खरगे ने कांग्रेस अध्यक्ष पद की शपथ ली. इस कार्यक्रम में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी सहित कई बड़े नेता शामिल थे. हालांकि इस ताजपोशी के साथ ही मल्लिकार्जुन खरगे पर कई जिम्मेदारियां भी आ गयी है. आइए चर्चा करते है कि कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के साथ ही मल्लिकार्जुन खरगे को किन पांच चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.
मल्लिकार्जुन खरगे के सामने कई चुनौतियां खड़ी है. हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की खोई हुई प्रतिष्ठा को वापस लाना और सत्ता काबिज करना पहला लक्ष्य होगा. इस चुनौती को पार कर पाना मल्लिकार्जुन के लिए काफी मशक्कत वाली साबित होगी. बता दें कि इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के साथ-साथ आम आदमी पार्टी भी चुनावी मैदान में उतरी है.
राजस्थान में कांग्रेस के दो फाड़ की कहानी जगजाहिर है. ऐसे में पार्टी के आपसी संग्राम को कैसे ठीक किया जाए और समन्वय बैठाते हुए कांग्रेस पार्टी को मजबूत किया जाए यह देखने योग्य बात होगी. मल्लिकार्जुन खरगे के लिए अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की लड़ाई को खत्म करना बड़ी चुनौती है, जिसे ठीक करने के लिए खरगे को अपने अनुभव का सहारा लेना पड़ेगा.
गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनाव के बाद अगले साल 2023 में कुल नौ राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने है. साथ ही खरगे के गृह राज्य कर्नाटक में भी विस चुनाव होने है. ऐसे में खरगे के लिए पार्टी को एक दिशा में लाना और जीत दर्ज करना उनके लिए महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होगी. जानकारी हो कि अभी राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही कांग्रेस की सरकार है. ऐसे में खरगे के लिए अन्य राज्यों में जीत सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी.
Also Read: S. Jaishankar: ‘भारत-चीन संबंधों का सामान्य होना एशिया और दुनिया के हित में’, एस जयशंकर का बयान
दो साल बाद 2024 में मल्लिकार्जुन खरगे के सामने सबसे बड़ी चुनौती आएगी. पीएम मोदी के सामने लोकसभा चुनाव में जनमत को अपनी ओर करना और बहुतमत हासिल करना यकीनन खरगे के पसीने छुड़ा देगा. बीते दो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन को देखकर इस बार कुछ खास अपेक्षा नहीं रखी जा रही है. ऐसे में खरगे के लिए आने वाले समय में पार्टी को सटीक आधार देना और लोकसभा चुनाव में बेहतर करना बड़ी जिम्मेदारी होगी. इसके अलावा पार्टी नेताओं को कांग्रेस से जोड़े रखना भी उनके लिए बड़ी चुनौती से कम नहीं.
कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव के वक्त सबसे चर्चा थी, मल्लिकार्जुन खरगे के गांधी परिवार से करीबी होने को लेकर. ऐसे में विपक्ष अभी भी बयानबाजी के जरिए यह कह रही है कि खरगे के सारे फैसले गांधी परिवार के मार्गदर्शन में ही लिए जाएंगे. ऐसे में खरगे को अपनी इस छवि को बदलने की भी बहुत बड़ी कवायद होगी.