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Maa Kali Puja 2022: आज दिवाली के अलावा काली पूजा भी, यहां देखें विधि, शुभ मुहूर्त और इसका महत्व

Maa Kali Puja 2022: पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, असम, झारखंड के इलाकों में दिवाली के दिन को मां काली की पूजा धूमधाम से की जाती है. बंगाली परंपरा में दीपावली को काली पूजा ही कह कर संबोधित भी किया जाता है.

Maa Kali Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Significance on Diwali- दिवाली (Diwali 2022) की रात लक्ष्मी माता के साथ साथ काली मां (Kali Puja 2022) की भी पूजा की जाती है, इसे काली चौदस (Kali Chaudas) कहते हैं, इस साल 23 अक्टूबर की रात चौदस लगी है और 24 अक्टूबर की शाम तक पूजा हो सकती है.  हिंदू धर्म में मान्यता के अनुसार काली पूजा के दिन ही मां काली 64 हजार योगिनियों के साथ प्रकट हुई थीं. उन्होंने रक्तबीज सहित कई असुरों का संहार किया था. इसलिए बंगाली समुदाय के लोग इस पूजा को शक्ति पूजा के रूप में भी मानते हैं.

काली पूजा शुभ मुहूर्त (Kali Puja Muhurat)

काली पूजा सोमवार 24 अक्टूबर 2022 को मनाया जाएगा
काली पूजा शुभ मुहूर्त – 11:40 अपराह्न से 12:31 पूर्वाह्न (25 अक्टूबर 2022)
पूजा की अवधि – 00 घंटे 51 मिनट
अमावस्या तिथि शुरू – 24 अक्टूबर 2022 को शाम 05:27 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त – 04:18 अपराह्न 25 अक्टूबर 2022

काली पूजा का दिवाली पर महत्व

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार काली पूजा करने से भक्तों की  मनोकामनाएं पूर्ण होती है और काली माता जीवन में सुख-शांति प्रदान करती हैं. इन सभी कारणों की वजह से काली माता की पूजा को दिवाली पर करना बहुत शुभ माना जाता है.

पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, असम, झारखंड में मशहूर है काली पूजा

पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, असम, झारखंड के इलाकों में दिवाली के दिन को मां काली की पूजा धूमधाम से की जाती है. बंगाली परंपरा में दीपावली को काली पूजा ही कह कर संबोधित भी किया जाता है.

दिवाली पर मां काली की पूजा विधि (Worship Method of Maa Kali)

  • मां काली की पूजा अक्सर रात में की जाती है. इसके लिए व्यक्ति को स्नान कर साफ वस्त्र पहनना चाहिए.

  • काली पूजा करने के लिए एक चौकी लें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं. इस पर मां काली की फोटो या मूर्ति स्थापित करें.

  • काली मां पूजा से पहले गणेश जी को विराजित करें और सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें. फिर मां काली को पंचामृत से स्नाना कराएं.

  • फिर मां को लाल चुनरी अर्पित करें और साथ ही लाल फूल की माला पहनाएं.

  • मां को तिलक, हल्दी, रोली और कुमकुम भी लगाएं. साथ ही श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें.

  • पूजा के दौरान काली मां के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाएं, मां काली को सिंदूर भी अर्पित करें और मां की कथा सुनें या पढ़ें.

  • काली गायत्री मंत्र या मां के बीज मंत्रों का जाप करें. फिर मां की आरती करें. मां को भोग लगाएं के बाद प्रसाद को सभी में वितरित करें.

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