Gujarat Election 2022 : गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले ही भाजपा प्रदेश में पूरी तरह से सक्रिय नजर आ रही है. खुद केंद्रीय मंत्री और पार्टी के दिग्गज नेता अमित शाह गुजरात में मौजूद हैं और लगातार पार्टी नेताओं से बात कर रहे हैं. शाह यहां चुनाव की रणनीति तैयार कर रहे हैं. इस बार एक बात देखने वाली है कि कई दिग्गज नेताओं के निधन के कारण वे चुनाव में नहीं दिखेंगे. इन्हीं नेताओं में एक नाम गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता केशुभाई पटेल का है जिनका निधन कोरोना काल में हो गया था. उन्होंने 92 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. केशुभाई कोरोनावायरस की चपेट में भी आये थे हालांकि उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ गयी थी.
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता केशुभाई पटेल का जन्म गुजरात के जूनागढ़ में 24 जुलाई 1928 को हुआ था. बहुत कम उम्र से ही उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता के रूप में काम करना शुरू कर दिया था. इसके बाद वे जनसंघ से जुड़े और फिर लंबे समय तक भाजपा के कार्यकर्ता और बाद में नेता बने. वह 1945 में प्रचारक के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गये थे. 1975 के आपातकाल के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. जनसंघ के समय से पार्टी के सक्रीय नेता रहने के कारण गुजरात में उनको काफी सम्मान दिया जाता था.
Also Read: Gujarat Election 2022: बीजेपी के कद्दावर नेता नितिन पटेल के हाथ से 4 बार निकल चुका है सीएम बनने का मौका
केशुभाई पटेल की बात करें तो कई बार उन्हें खुद पीएम नरेंद्र मोदी अपना राजनीतिक गुरु बता चुके हैं. हालांकि केशुभाई पटेल कई चुनावों में उनके खिलाफ प्रचार करते भी दिखे. लेकिन 2019 में एक कार्यक्रम के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी जब केशुभाई पटेल से मिले तो पैर छूआ और उनसे आशीर्वाद लिया. 2007 के चुनावों में केशुभाई पटेल ने अपने समर्थकों से खुलकर भाजपा का विरोध किया और कांग्रेस को वोट देने की अपील की. 2012 में किसी बात पर भाजपा के साथ अनबन होने के बाद केशुभाई गुजरात परिवर्तन पार्टी के नाम से अपनी एक अलग पार्टी बनायी थी. बाद में 2014 में उन्होंने अपनी पार्टी का विलय भाजपा में कर दिया था.
गुजरात के दो बार मुख्यमंत्री के रूप में सेवा दे चुके केशुभाई पटेल को मरणोपरांत पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है. केशुभाई पटेल को पीएम नरेंद्र मोदी अपना राजनीतिक गुरु भले ही कहते नजर आये हों लेकिन दोनों नेताओं के बीच खटास की खबरें भी आती रहीं हैं. 2001 में भुज में आये भूकंप के बाद केशुभाई पटेल को पद से हटना पड़ा था और उनकी जगह पर नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री के पद पर काबिज हुए थे.