पटना. त्योहार के मौसम में मिठाई की मांग बढ़ जाती है. ऐसे में मिलावट की संभावना अधिक रहती है. खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी कहते हैं कि नियम के तहत हर उत्पाद पर एक्सपायरी तिथि होनी चाहिए. पटना में दिवाली पर मांग बढ़ने के साथ नकली मिठाइयों की आमद शुरू हो चुकी है. दुकानों के काउंटरों में चांदी सी चमकती मिठाइयों की कई वैरायटी उपलब्ध है. लेकिन कुछ दुकानदार पुरानी मिठाई में से नयी मिठाई तो कुछ नकली मिठाई बेच रहे हैं. जबकि शहर के अधिकांश दुकानों पर छापेमारी भी नहीं हुई है.
दुकानों पर एक्सपायर होने वाले मिठाइयों को लिखने का नियम दो साल पहले भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने जारी किया था. खाद्य सुरक्षा विभाग ने आम लोगों के स्वास्थ्य के खतरों को देखते हुए दिशा निर्देश जारी किये. अगर उसमें जरा भी खट्टापन या बदबू आ रही है तो उसे न खरीदें. खासकर रंग लगी हुई मिठाई को खरीदने से बचें.
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एक दिन: कलाकंद, बटरस्कॉच, चॉकलेट कलाकंद, रोस कलाकंद
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दो दिन: बादाम दूध, रसगुल्ला, रस मलाई, रबड़ी, रस्कदम, गुड़ की मिठाई, रस माधुरी
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चार दिन: मलाई वाला घेवर, मेवा लड्डू, मिल्क केक, पिस्ता बर्फी, कोकोनेट बर्फी, सफेद पेड़ा, बूंदी लडू, कोकोनेट लडू, बेसन का मगदल, मोतीचूर मोदक, खोया बादाम, मोवा बट्टी, फ्रूट केक, खोया फ्रूट केक, पिंक बफ्री, केसर बादाम रोल
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सात दिन: ड्राइ फ्रूट्स लड्डू, काजू कतली, घेवर, शकरपारा, मूंग बफ्री, आटा लड्डू, गुजिया, मोटी बूंदी लडू, काजू केसर बफ्री, चंदरकला, मैदा गुजिया, पेठा, केसर का घेवर आदि.
असली व सही चांदी वर्क बनाने वाले कारोबारियोंं के मुताबिक वर्तमान में दुकानों पर बिक रही सस्ती मिठाईयों पर चमकता वर्क चांदी नहीं, जस्ता है. पटना में रोजाना करीब 50 किलो जस्ता वर्क खाया जा रहा है. जो त्योहार में कई गुना बढ़ चूकी है. असली चांदी के सौ वर्क का पैकेट करीब 350 रुपये का आता है, जबकि पटना सिटी में बनने वाला जस्ता वर्क का पैकेट 50 से 60 रुपये में ही मिल जाता है. सस्ता और दिखने वाला असली की तरह दिखने वाला यह आइटम खोया, बफ्री, काजू कतली में इस्तेमाल होता है. जबकि डॉक्टरों का कहना है कि नकली या जस्ता वर्क के सेवन से किडनी, लिवर व पाचन तंत्र खराब हो जाता है.