Dengue की स्थिति बिहार में काफी भयावह होती जा रही है. पटना में रोज 400 से ज्यादा मरीज सामने आ रहे हैं. डेंगू के डंक से बच्चे भी सुरक्षित नहीं है. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अमित चौबे बताते हैं कि डेंगू से पीड़ित बच्चों में सबसे ज्यादा पांच वर्ष से छोटे बच्चों को ज्यादा परेशानी है. इसका खास ध्यान रखें. बच्चे अपनी पीड़ा को सही से बता नहीं पाते हैं. ऐसे में माता पिता को खास ध्यान रखने की जरूरत है. बिहार में बुखार से पीड़ित कुल बच्चों में 75 प्रतिशत बच्चे डेंगू के डंक से पीड़ित हैं. इसमें 15 प्रतिशत बच्चों की स्थिति गंभीर है, अथवा उन्हें अस्पताल में भर्ती करके इलाज करने की जरूरत पड़ रही है.
डॉ अमित चौबे बताते हैं कि बच्चों में भी डेंगू के सामान्य लक्षण देखने को मिलते हैं. अगर बच्चे को तेज बुखार दो दिनों से ज्यादा हो, बुखार दवा देने के बाद कम होता हो और तेज बुखार आता हो, सिर दर्द, शरीर पर लाल दाने, आदि हो तो तुरंत डॉक्टर से मिले. इसके साथ ही, खुद से कभी दवा न दें. बच्चों को प्रारंभिक इलाज में भी एंटीबायोटिक न दें. बच्चे को अगर उल्टी हो रही हो या शरीर के किसी भी अंग से खून निकले, मल के साथ खून आए, मल काला हो, पेट दर्द, SGPT या प्लेटलेट कम हो तो तुरंत चिकित्सक से मिले. घरेलु इलाज के चक्कर में कई अभिभावक डॉक्टर के पास पहुंचने में दे कर देते हैं. इससे परेशानी बढ़ जाती है.
डेंगू से संक्रमित बच्चों को ज्यादा से ज्यादा फ्लूड बेस खाना दें. बच्चों के नारियल पानी दें. अगर बच्चा मां का दूध पीता है तो दूध पिलाना जारी रखें. इसके साथ ही, ओआरएस, ग्लूकोज, दाल का पानी, जूस, आदि दे सकते हैं. एक बात और ध्यान रखने की है कि चिकित्सक पपीते के पत्ते और बकड़ी का दूध आदि लेने की सलाह नहीं देते हैं. ऐसे करने से संक्रमण बढ़ सकता है.