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Bihar में स्वास्थ्य सेवा में भेदभाव झेल रही महिलाओं ने शुरू की मुहिम, जानें क्यों जमा कर रही सेफ्टीपीन

‍Bihar में महिलाओं को आजादी के 75 वर्ष बाद भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है. भले आज हम जेंडर इक्वालिटी की बात करते हैं लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं में महिलाओं के साथ होने वाला भेदभाव आज भी जारी है.

जूही स्मिता‍, पटना

Bihar में महिलाओं को आजादी के 75 वर्ष बाद भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है. भले आज हम जेंडर इक्वालिटी की बात करते हैं लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं में महिलाओं के साथ होने वाला भेदभाव आज भी जारी है. महिलाओं के साथ यह भेदभाव कई सालों से होता आया है लेकिन अब इसे रोकने के साथ खुद के स्वाभिमान और गरिमा के लिए महिलाओं ने मुहीम@ खुद से पूछें की शुरुआत की है. इसके लिए उन्होंने सेफ्टीपीन का अपने सम्मान का प्रतीक बनाया है जिसे महिलाएं अन्य महिलाओं को देकर सम्मानदनक स्वास्थ्य का संदेश दे रही है. पटना समेत अन्य जिलों से जुड़ी महिलाओं ने अब तक एक मिलियन सेफ्टीपीन एकत्रित किया है जिसका इंस्टॉलेशन पटना के रामनगरी मोड़ चौक पर किया गया है. महिलाओं द्वारा महिलाओं के लिए शुरू की गयी इस मुहीम को आगे बढ़ाने का जिम्मा गुरप्रिया सिंह निभा रही है. अब तक दस लाख से ज्यादा महिलाओं ने मुहीम के लिए सेफ्टीपीन इकट्ठा किया.

बिहार में हर दिन महिलाएं स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भेदभाव झेलती है

मूल रूप से दिल्ली के रहने वाली गुरप्रिया बताती हैं कि उन्होंने बिहार में हेल्थ केयर से जुड़ कर चार साल तक कार्य किया है. इस दौरान महिलाओं ने स्वास्थ्य सेवाओं में होने वाले भेदभाव पर बात की. उन्होंने बताया कि अगर वे डॉक्टर के पास जाकर कहती हैं कि उनका पीरियड मिस हो गया है तो इलाज से पहले ताना सुनना पड़ता है. यही नहीं लेबर रूम ने दर्द के दौरान नर्स की ओर से डांटा जाना और गर्भ निरोध को लेकर टिप्पणी करना आम है. हर महिला का शरीर अलग होता है ऐसे में यह उनका अधिकार है कि वे अपने स्वास्थ्य को लेकर निर्णय ले सकें. हालांकि हेल्थ केयर में महिलाओं की पहुंच बढ़ी है. आशा वर्कर्स की की वजह से महिलाओं में हेल्थ केयर को लेकर सजगता बढ़ी है. सिर्फ पहुंच से बात नहीं बनेगी इसकी गुणवत्ता पर बात करनी होगी. एनएफएचएस 5 के डाटा में क्वालिटी हेल्थ केयर को काउंसेलिंग से जोड़ा जा रहा है लेकिन महिलाओं को आज भी सम्मानजनक स्वास्थ्य की जरूरत है.

पटना की महिलाओं और युवतियां इस मुहीम का हिस्सा

खुद से पूछें मुहीम की शुरुआत पटना की रहने वाली महिलाओं और युवतियों ने किया. इन्हीं युवतियों ने अपने जिले नवादा, अररिया, दरभंगा और रोहतास में इस मुहीम को चलाया. बिहार के जिलों में 60 महिलाओं और युवतियों ने बॉक्स में महिलाओं द्वारा दिये गये सेफ्टीपीन का कलेक्शन किया जिसका मकसद समुदाय और समाज में रह रही महिलाओं को स्वास्थ्य सुविधाओं में हो रहे भेदभाव को खत्म करने में योगदान देने की बात की गयी है. इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक में 7 मिलियन व्यूर्स और इस मुहीम ने अबतक 71 मिलियन लोगों की बीच पहुंच बनायी है.बिहार की महिलाओं द्वारा शुरू की गयी इस मुहीम को अन्य राज्यों के महिलाओं के अलावा ट्रांसजेंडर समुदाय, डॉक्टर्स और एक्टर मनोज वाजपयी का सपोर्ट मिल रहा है.

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