Gorakhpur News: गोरखपुर पुलिस के हत्थे शुक्रवार को दो हैकर्स चढ़ गए. दूसरे का अकाउंट खाली कर अय्याशी करने वाले इन हैकर्स को जिले के रामगढ़ताल थाने की पुलिस और साइबर सेल ने मिलकर पश्चिम बंगाल के परगना से अरेस्ट किया है. दोनों ही हैकर देशभर के टीनएजर्स का गेम अकाउंट हैक कर उनसे रुपये की वसूली करते थे.
गोरखपुर पुलिस ने इन हैकर्स की पहचान पश्चिम बंगाल के 24 नॉर्थ परगना जिले के थाना बसीरहाट साईपल्ला नवापल्ली क्लब निवासी अभिजीत हलधर और दूसरे की देवरिया जिले के कोतवाली थानाक्षेत्र के स्वामी विवेकानंद कॉलोनी निवासी अंश बरनवाल के रूप में बताई है. पूछताछ में दोनों ने स्वीकार किया है कि वह युवकों को बीजीएमआई गेम अकाउंट हैक कर उनसे रुपये वसूलते हैं. इन्होंने अब तक हजारों युवकों का गेम अकाउंट हैक कर वसूली की है.
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इस मामले का खुलासा करते हुए एसपी सिटी कृष्ण कुमार विश्नोई ने बताया कि गोरखपुर के रामगढ़ताल थाना क्षेत्र के चिलमापुर के 18 साल के आदित्य सिंह ने 12 अक्टूबर को कंप्लेन दर्ज कराई थी. उन्होंने अपनी तहरीर में लिखा था, ‘मेरे ट्विटर अकाउंट से BGMI गेम लिंक था. इसको 8 अक्टूबर को किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा हैक कर लिया गया.’ उन्होंने अपनी तहरीर में लिखा था कि उनके ट्विटर अकाउंट से उनका ही मोबाइल नंबर हटाकर उसकी आईडी को भी बदल दिया गया था. उनके मुताबिक, हैकर्स ही बीजीएमआई आईडी भी चला रहे थे. उन्होंने अपनी तहरीर में लिखा था कि अपने दोस्त के गेम आईडी से संपर्क किया तो उसने टि्वटर और BGMI आईडी पासवर्ड देने के लिए रुपये की मांग की थी.
इसके बाद पुलिस ने अज्ञात पर मुकदमा दर्ज कर हैकर्स की तलाश शुरू कर दी. साइबर सेल के दरोगा सुनील कुमार पटेल और रामगढ़ताल थाना निरीक्षक सुधीर कुमार सिंह की संयुक्त जांच में पता चला कि अकाउंट हैक करने वाला आरोपी पश्चिम बंगाल का रहने वाला है. पुलिस ने बंगाल पहुंचकर आरोपित अभिजीत हलदर को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में उसने बताया कि उसका साथ देवरिया जिले का रहने वाला अंश बरनवाल देता है. पुलिस की एक टीम ने देवरिया पहुंचकर अंश की गिरफ्तारी की. दोनों ने पूछताछ में हैकिंग की बात कबूल कर ली है.
साइबर जालसाज अभिजीत फिसिंग लिंक के जरिए देश के किसी भी कोने में अकाउंट बनाकर गेम खेलने वालों का पासवर्ड हासिल कर लेता था. इसके बाद उसकी पहचान बदल देता था. अगर उस अकाउंट का वास्तविक ऑनर उससे संपर्क करता था तो वह उससे रुपये की मांग करता था. जालसाज ने बताया कि अगर वह पैसा नहीं देता था तो टेलीग्राम की मदद से फेसबुक और टि्वटर हैंडल से लिंक गेम अकाउंट को भेज देता था. इससे भी उसे अच्छे रुपये मिलते थे.
साइबर क्राइम के विशेषज्ञों के मुताबिक, टीनएजर्स जब ऑनलाइन गेम खेलते हैं तो उनको कुछ लिंक और शेयर हैकर्स भेजते रहते हैं. उसमें टीनएजर्स को लालच दिया जाता है कि वे जो गेम खेल रहे हैं उसके वेपंस आदि अपडेट कर सकते हैं. या फिर हैसर्क ऐसी ही कुछ अन्य लालच वाले ऑफर्स देकर उनको भ्रम में डाल देते हैं. उनके जाल में फंसकर बच्चे समझ नहीं पाते हैं कि वे अपना आईडी और पासवर्ड शेयर करके क्या गलती करने जा रहे हैं. एक बार यदि वे अपनी डीटेल शेयर कर देते हैं तो फिर वे हैकर्स में चंगुल में फंस जाते हैं. इससे बचने के लिए बच्चों को अननोन लिंक पर क्लिक नहीं करना चाहिए. प्ले स्टोर पर जो गेम हैं उसे ही डाउनलोड करना चाहिए. थर्ड पार्टी एप्लीकेशन से कुछ भी डाउनलोड नहीं करना चाहिए.
रिपोर्ट : कुमार प्रदीप