भारत और चीन युद्ध की बरसी के मौके पर उत्तराखंड में पूर्व सैनिकों ने शहीद हुए वीर जवानों को श्रद्धा सुमन अर्पित की. भारत-चीन युद्ध के 60 साल पूरे हो चुके हैं, इसी मौके पर देहरादून के सैकड़ों पूर्व सैनिकों ने शौर्य स्थल पहुंचकर वीर शहीदों को याद किया और श्रद्धांजलि अर्पित की.
कर्नल सुमित सूद बोले- 62 का जंग चीन के विश्वासघात को दिलाता है याद
चीन के साथ युद्ध में वीरगति को प्राप्त होने वाले सैनिकों को याद करते हुए कर्नल सुमित सूद ने कहा, 1962 का युद्ध चीन के विश्वासघात और भारतीय सैनिकों के पराक्रम की याद दिलाता है.
भारतीय सैनिकों ने थ्री नॉट थ्री बंदूकों से चीन के छक्के छुड़ाये
शहीदों को श्रद्धांजिल अर्पित करने के बाद श्री तरुण विजय ने कहा, जो समाज अपने वीरों को भूल जाये उसका कोई भविष्य नहीं होता. उन्होंने कहा, हमारे सैनिकों ने ठंढ में बिना ऊनी कपड़े के थ्री नॉट थ्री बंदूकों से चीन के छक्के छुड़ा दिए. उन्होंने कहा, जसवंत सिंह रावत 21 साल की छोटी उम्र में 400 से अधिक चीनी सैनिकों को मार गिराया. आज भी जसवंत बाबा का नूरानांग अरुणाचल में मंदिर है. उत्तराखंड के हर गांव से 1962 के युद्ध में शहीद हुए. उन शहीदों के नाम युद्ध स्मारक में अंकित हैं.
1962 के जंग में भारतीय सैनिकों ने चीन को दिया मुंहतोड़ जवाब
1962 के युद्ध में शहीद हुए वीर जवानों को याद करते हुए कर्नल यू एस ठाकुर, पूर्व आई जी ईएसएस कुठियाल, कैप्टेन नील कुमार थापा ने भी अपने विचार व्यक्त किये और कहा 1962 को कभी भूलना नहीं चाहिए. उस समय भारतीय सैनिकों की जीत हुई थी. इस कार्यक्रम को युद्ध स्मारक के अध्यक्ष श्री तरुण विजय ने सब एरिया कमांड के सहयोग से किया.
1962 भारत-चीन युद्ध में उत्तराखंड के कई वीर जवानों ने चीन से लिया था लोहा
1962 के भारत-चीन युद्ध में उत्तराखंड के कई वीर जवानों ने चीन से लिया था लोहा. उत्तराखंड पूर्व सैनिक लीग के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट बी एम थापा, ब्रिगेडियर बहल, सूबेदार मेजर तीरथ सिंह रावत, मेजर जनरल बहुगुणा ने युद्ध में भाग लिया था.